5 साल से पहले स्टूडेंट्स की यूनिफॉर्म नहीं बदल सकेंगे प्राइवेट स्कूल

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दुकान विशेष से कॉपी-किताब खरीदने का दबाव भी अभिभावकों पर नहीं डाल सकेंगे

बीकानेर। राजस्थान में प्राइवेट स्कूलों में किताबें, यूनिफॉर्म और जूते-टाई की खरीद सहित फीस निर्धारण को लेकर राज्य सरकार ने पिछले साल दिशा-निर्देश जारी किए थे। मगर अधिकांश स्कूलों की ओर से इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।

मामले को गंभीरता से लेते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक नथमल डिडेल ने प्राइवेट स्कूल संचालकों पर लगाम लगाने के लिए दो अलग-अलग आदेश जारी किए है। यदि संबंधित स्कूल की ओर से इन नियमों की सख्ती से पालना नहीं हुई तो संबंधित स्कूल की मान्यता समाप्ति की जाएगी।

निर्देश के मुताबिक स्टूडेंट्स की यूनिफॉर्म में प्राइवेट स्कूल पांच साल तक बदलाव नहीं कर सकेंगे। वहीं दुकान विशेष से कॉफी-किताब खरीदने का दबाव भी अभिभावकों पर नहीं डाल सकेंगे। किताबों के अलावा प्राइवेट स्कूलों की ओर से निर्धारित यूनिफॉर्म, टाई, जूते, कॉपियां आदि स्टूडेंट्स एवं अभिभावक खुले बाजार से खरीदने के लिए स्वतंत्र होंगे।

इसके अलावा किसी भी शिक्षण सामग्री पर स्कूल अपना नाम अंकित नहीं कर सकेंगे। वहीं स्कूल परिसर में भी पुस्तकों एवं अन्य सामग्री के विक्रय पर पाबंदी रहेगी। निजी स्कूल संचालकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि छात्र-छात्राओं के लिए अनुशंसित की जाने वाली किताबें, ड्रेस और अन्य सामग्री कम से कम तीन  विक्रेताओं के पास उपलब्ध हो।

अभिभावकों की ओर से सूची मांगने पर उन्हें उपलब्ध करानी होगी
निजी स्कूल एनसीआरटी एवं राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तथा निजी प्रकाशकों के पाठ्यक्रम के मुताबिक प्रकाशित पुस्तकों का चयन स्टूडेंट्स के लिए कर सकेंगे। मगर उनके लिए अनिवार्य होगा कि शिक्षण सत्र शुरू होने से एक माह पहले पुस्तकों की सूची, लेखक-प्रकाशक का नाम और मूल्य के साथ अपने स्कूल के सूचना पट्ट एवं वेबसाइट पर इसे अपलोड करें। अभिभावकों की ओर से सूची मांगने पर उन्हें उपलब्ध करानी होगी।

नियम विरुद्ध फीस बढ़ोतरी पर कार्रवाई
नियमों के विरुद्ध फीस में बढ़ोतरी करने पर प्राइवेट स्कूल के खिलाफ मान्यता समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने इस संबंध में समस्त डीईओ को निर्देश जारी किए हंै। जिसमें बताया गया है कि वर्ष 2016 में राजस्थान विद्यालय (फीस का विनियमन) अधिनियम,2016 और वर्ष 2017 में राजस्थान विद्यालय (फीस का विनियमन) नियम, 2017 लागू किया गया है।

बावजूद इसके 10 से 15 फीसदी स्कूलों में फीस कमेटी का गठन नहीं हुआ है। शिक्षा निदेशक ने पिछले दस साल की फीस का तुलनात्मक अध्ययन कर फीस कमेटी की ओर से प्रस्तावित फीस का अनुमोदन करने के निर्देश दिए हैं। अनियमित फीस वृद्धि करने वाले स्कूलों की तत्काल जांच कर मान्यता समाप्ति की रिपोर्ट मांगी गई है।