देश का पहला डेटा सिक्योरिटी ऑपरेशन सेंटर जयपुर में बनेगा

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जयपुर। इंटरनेट यूजर्स का पर्सनल डेटा चोरी किए जाने को लेकर देश में बड़ी बहस छिड़ी हुई है। भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर मोबाइल एप्स के जरिए डेटा चोरी कर उनका चुनावी इस्तेमाल करने के आरोप लगा रहे हैं। प्रदेश में सरकार भामाशाह प्लेटफार्म के जरिए अपनी हर योजना को डिजिटलाइज कर रही है।

विभागों में करीब 200 इंटरनेट एप्लीकेशंस में हर रोज 15 से 18 लाख ट्रांजेक्शन हो रहे हैं। इन ट्रांजेक्शन में यूजर्स के डेटा को चोरी होने से रोकने और सेंधमारी से बचाने अब जयपुर में देश का पहला डेटा सिक्योरिटी सेंटर तैयार किया जा रहा है जो अगले तीन महीने में पूरी तरह काम करना शुरू कर देगा।

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 2017-18 के बजट में इसकी घोषणा की थी। सिक्योरिटी सेंटर के साथ सबसे बड़ा डेटा सेंटर भी बनाया जा रहा है। सरकार के डेटा को सुरक्षित रखने का जिम्मा संभाल रहे सूचना प्रौद्योगिकी विभाग(डीओआईटी) के प्रमुख सचिव अखिल अरोड़ा के अनुसार डेटा सेंटर गूगल और फेसबुक के डेटा सेंटर के समान आधुनिक होगा।

मौजूदा समय में प्रदेश में सरकारी विभागों में होने वाले ट्रांजेक्शन से करीब 3.5 पेटा बाइट डेटा जनरेट हो रहा है। नए डेटा सेंटर की क्षमता 600 रेक्स की होगी जो अगले एक दशक तक प्रदेश के डेटा स्टोरेज की जरूरत पूरी कर सकेगा। डेटा सिक्योरिटी को लेकर प्रदेश में 2015 में इंफॉरमेशन सिक्योरिटी पॉलिसी जारी की जा चुकी है।

इस पॉलिसी के मुताबिक डेटा सुरक्षित रखने के लिए फोर लेयर सिक्युरिटी है। अरोड़ा का कहना है कि डेटा लीक का सबसे ज्यादा खतरा थर्ड पार्टी एक्सेस पर होता है लेकिन प्रदेश में डेटा सिक्योरिटी पॉलिसी के मुताबिक सरकारी विभागों से इकट्ठा होने वाले डेटा का थर्ड पार्टी एक्सेस नहीं है।

यह सारा डेटा डीओआईटी के डेटा सेंटर में स्टोर किया जाता है। इस डेटा सेंटर को फोर लेयर सिक्योरिटी दी गई है। इसके जरिए ट्रांजेक्शन प्वाइंट से सर्वर और इसके बाद यूजर तक पहुंचने वाली जानकारी को सुरक्षित रखा जाता है।

एंड प्वाॅइंट सिक्योरिटी
डेटा लीक होने का पहला प्वाइंट वहां होता है जहां से ट्रांजेक्शन किया जा रहा है। सरकार की स्पष्ट गाइडलाइन है कि जिस डिवाइस से ट्रांजेक्शन हो रहा है वह एनक्रिप्टेड फार्म में ही होगा। मसलन आप किसी खाता नंबर से बिल भुगतान करते हैं तो इस ट्रांजेक्शन की डिटेल सर्वर तक जाती है। इस दौरान आपके खाते की जानकारी कोडवर्ड में बदल दी जाती है जो सर्वर पर जाकर डिकोड होती है।

फिजिकल सिक्योरिटी
सर्वर की सुरक्षा के लिए फिजिकल सिक्युरिटी का बंदोबस्त किया गया है। डेटा सेंटर पूरी तरह सीसीटीवी की निगरानी में है। सेंटर में प्रवेश के लिए बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन होता है। इसमें संबंधित व्यक्ति का एक्सेस लिमिट तय होता है कि वह सेंटर में कहां तक जा सकता है। इसके बाद बैंक की चेस्ट ब्रांच की तरह लोहे का बड़ा दरवाजा रहता है।

नेटवर्क सिक्योरिटी
नेटवर्क सिक्योरिटी के लिए एक्सेस कंट्रोल है। इसमें नेटवर्क के जरिए कोई व्यक्ति आपके डेटा को एक्सेस नहीं कर सके इसके लिए एक्सेस कंट्रोल और फायरवाल काम करते हैं। इसके अलावा चौथे चरण में नेटवर्क से भी डेटा एनक्रिप्शन किया जाता है। इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि वही व्यक्ति डेटा एक्सिस कर सके जो इसके लिए अधिकृत है। इसके लिए संबंधित व्यक्ति को वन टाइम पासवर्ड भी दिया जाता है।