टैक्स जांच के घेरे में 4 सरकारी बैंक और ATM कंपनियां

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मुंबई। रेवेन्यू डिपार्टमेंट की इंटेलिजेंस यूनिट ने कुछ बैंकों और एटीएम सर्विस देने वाली कंपनियों की कथित सांठगांठ की जांच शुरू कर दी है। आरोप है कि यह साठगांठ वैल्यू ऐडेड टैक्स यानी वैट चुकाने से बचने और टैक्स क्रेडिट के बेजा क्लेम के लिए की गई थी।

डायरेक्टरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस (DGGSTI) ने एसबीआई, पीएनबी, केनरा बैंक, सिंडिकेट बैंक और उनके कुछ एटीएम सर्विस प्रोवाइडर्स को इस मसले पर इसी महीने नोटिस भेजे हैं। एनसीआर, एजीएस ट्रांजैक्ट, टाटा पेमेंट्स सॉल्यूशंस, हिताची सहित कई एटीएम सर्विस प्रोवाइडर्स को भी नोटिस भेजे गए हैं।

कोच्चि ऑफिस से 12 मार्च को जारी एक नोटिस में कहा गया, ‘कुछ बैंकों की ओर से एटीएम ट्रांजैक्शंस से जुड़े सेनवैट क्रेडिट को लेने में कथित अनियमितता की जांच के संबंध में कृपया सिंडिकेट बैंक, केनरा बैंक, पीएनबी और एसबीआई और एसबीआई के पूर्ववर्ती एसोसिएट बैंकों से जुड़ी डिटेल्स मुहैया कराएं।’

डिपार्टमंट ने तीन तरह की जानकारी मांगी है। बैंकों को दी गई विभिन्न तरह की सेवाओं के अलावा इनवाइसेज और हर सर्विस पर चुकाए गए सर्विस टैक्स की जानकारी के साथ ही एग्रीमेंट/कॉन्ट्रैक्ट/वर्क ऑर्डर या एटीएम की आउटसोर्सिंग की टर्म्स एंड कंडिशंस से जुड़ा कोई भी अन्य दस्तावेज और 2013-14 से लेकर 2016-17 के बीच की एनुअल रिपोर्ट्स की डिटेल्स मांगी गई हैं।

एसबीआई, पीएनबी, केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक को भेजे गए सवालों के जवाब नहीं मिल सके। एनसीआर के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘DGGSTI की ओर से एनसीआर पर न तो कोई आरोप लगाया गया है और न ही कोई नोटिस जारी किया गया है।’ एजीएस ने कहा कि उन्हें DGGSTI से कोई नोटिस नहीं मिला है। हिताची के प्रवक्ता ने नोटिस मिलने की बात स्वीकार की, लेकिन कहा कि जांच बैंकों की हो रही है, हमारी नहीं।

टैक्स अधिकारी यह जांच कर रहे हैं कि बैंकों और एटीएम सर्विस प्रोवाइडर्स के बीच कॉन्ट्रैक्ट्स पर वैट लागू हो सकता है या नहीं। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने बताया, ‘अधिकतर मामलों में केवल सर्विस टैक्स चुकाया गया है और बैंकों ने उस पर क्रेडिट ले लिया है। कुछ मामलों में सर्विस टैक्स लागू नहीं था और केवल वैट चुकाना था।’ पहले की व्यवस्था में बैंक केवल सर्विस टैक्स का क्रेडिट ले सकते थे, वैट का नहीं।