सोशल मीडिया की लत बना रही मानसिक रोगी

1175

-फेसबुक चेक ना करने पर क्या आपको भी होती है बेचैनी ?

दिनेश माहेश्वरी
कोटा। सोशल मीडिया की लत आपको मानसिक रोगी बना रही है. आज आपके कितने सोशल मीडिया अकाउंट हैं? फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, वीचैट। व्हाट्सऐप और भी कई। आप इन्हें दिन में कितनी बार चेक करते हैं। नए मैसेज, लाइक्स, रिप्लाई या कमेंट को देखने के लिए आप ये सोशल मीडिया अकाउंट कई बार खोलते होंगे।

कई बार ऐसा होता है कि आपको मौका नहीं मिलता कि आप फेसबुक या ट्विटर की फीड चेक कर सकें।। ऐसे में आपको टेंशन हो जाती होगी। वैसे आप अकेले नहीं हैं। पूरी दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें सोशल मीडिया की लत लग गई है। वो अगर सोशल मीडिया अकाउंट चेक नहीं करते तो बेचैन हो जाते हैं।

मनोवैज्ञानिक इसे अब एक लत, एक बीमारी मानने लगे हैं। सोशल मीडिया की लत के शिकार लोग अब बाकायदा इससे पीछा छुड़ाने के लिए विशेषज्ञों की मदद ले रहे हैं। इसे ‘डिजिटल डिटॉक्स’ का नाम दिया गया है। यानी डिजिटल जहर से मुक्ति। आपको मेल चेक करने की बीमारी तो नहीं हो गई?  ये लत छुड़ाने के लिए लोग तरह-तरह के नुस्खे आजमा रहे हैं।

एक्सपर्ट इस काम में सोशल मीडिया की लत के शिकार लोगों की मदद कर रहे हैं।अमेरिका में तो कई मनोवैज्ञानिक इसके लिए डेढ़ सौ डॉलर प्रति घंटे यानी दस हजार रुपए या इससे ज्यादा फीस वसूल रहे हैं। लंबे सेशन के लिए तो पांच सौ डॉलर प्रति घंटे तक की फीस ले रहे हैं। मामला ही इतना गंभीर है।

आज सोशल मीडिया की लोगों को ऐसी लत लग रही है, जो शराब या दूसरे नशे की लत से भी भयानक है। अमेरिका के न्यूपोर्ट बीच शहर में ऐसी सेवाएं देने वाली पामेला रटलेज कहती हैं कि वो लोगों को तमाम तरह के सबक सिखाती हैं। उन्हें तैराकी सिखाती हैं। ड्राइविंग सिखाती हैं। मगर होता ये है कि लोग सब काम छोड़कर फोन लेकर सोशल मीडिया पर एक्टिव हो जाते हैं।