बीज निगम के अफसरों का घोटाला, 24.81 लाख का गेहूं गायब

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कोटा। राजस्थान राज्य बीज निगम इकाई बारां के दो अधिकारी 24.81 लाख रुपए का गेहूं हजम कर गए। यह रॉ सीड निगम के वेयर हाउस से ग्रेडिंग के लिए प्लांट भेजा गया, लेकिन वहां इसे गायब कर दिया गया। गबन का मामला वर्ष 2013 का है। मामले में एसीबी ने दो अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

इस मामले की शिकायत ब्यूरो को वर्ष 2014 में कोटा के दादाबाड़ी निवासी मुरारीलाल खंडेलवाल ने की थी। शुरुआती जांच में सामने आए तथ्यों के बाद 23 दिसंबर, 2014 को एसीबी ने इस मामले में प्राथमिक जांच (पीई) दर्ज की और विस्तृत छानबीन के बाद जब गबन प्रमाणित पाया गया तो दो दिन पहले एसीबी मुख्यालय ने एफआईआर दर्ज कर ली।

एसीबी कोटा के एएसपी ठाकुर चंद्रशील ने बताया कि इस मामले में बारां इकाई के तत्कालीन प्लांट मैनेजर एनडी गौरी तथा बीज अधिकारी लोकेश कुमार सैनी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1)(सी)(डी), 13 (2), भादसं की धारा 409 व 120 बी में प्रकरण दर्ज किया है।

जांच में सामने आए ये तथ्य
वेयर हाउस से 2013 में 13 से 19 नवंबर के बीच 10215 कट्टे (6405.80 क्विंटल) गेहूं ग्रेडिंग के लिए प्लांट पर भेजा गया। वहां सिर्फ 8063 कट्टे (5063.80 क्विंटल) गेहूं की ग्रेडिंग की गई। शेष 2152 कट्टे (1342 क्विंटल) गायब कर दिया गया, 1854 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से यह गेहूं 24.88 लाख का था।

इसी तरह 20-21 नवंबर तथा 27 दिसंबर को भेजे गए गेहूं में भी गबन सामने आया। अधिकारियों ने कुछ कट्टे बाद में मंगाकर गलती छिपाने का प्रयास किया, लेकिन इसके इंद्राज में भी गड़बड़ी छोड़ दी, जो जांच में सामने आ गई। पूरा मामला तब खुला, जब प्लांट के गेट पर गेहूं का इंद्राज पाया गया, लेकिन वहां के स्टॉक रजिस्टर में इंद्राज नहीं था।

मामले के शिकायतकर्ता मुरारी लाल खंडेलवाल ने बताया कि मैं पहले बीज निगम में ही ठेकेदारी करता था। जब मैंने ये गड़बड़ी देखी और निगम के उच्चाधिकारियों को बताई तो वे मेरे ही पीछे पड़ गए। मुझे लगा कि इसमें पूरा सिस्टम इन्वॉल्व है, इसलिए मैंने बीज निगम में काम करना ही छोड़ दिया और पूरे मामले की शिकायत तथ्यों के साथ एसीबी को दी। समय लगा, लेकिन मुझे उम्मीद थी कि भ्रष्ट अफसर नहीं बचेंगे।