नई दिल्ली। वर्ल्ड बैंक ने अनुमान जताया है कि 2018-19 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 7.3 फीसदी रहेगी। वहीं, 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.5 फीसदी की दर से बढ़ने का आकलन है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 के तीसरी तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़कर 7.2% हो गई। इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था चीन को पीछे छोड़कर सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी बन गई। दिसंबर तिमाही में चीन की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.8% रही थी।
2017-18 में 6.7% ग्रोथ का अनुमान
वर्ल्ड बैंक के छमाही पब्लिकेशन में 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष भारत की ग्रोथ रेट 6.7 फीसदी रह सकती है। हालांकि, वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि क्रेडिट, इन्वेस्टमेंट और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए भारत को 8 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ रेट की जरूरत होगी।
सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) की ओर से जारी सेकंड अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.6 फीसदी रह सकती है। पहले यह अनुमान 6.5 फीसदी था। 2016-17 में 7.1 फीसदी थी।
खत्म हो सकता है नोटबंदी, GST का असर
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी और जीएसटी के असर रिकवर हो सकती है और इसमें धीरे-धीरे तय लक्ष्य के अनुरूसार रिकवरी होनी चाहिए। इस साल 7.5 फीसदी जीडीपी ग्रोथ का सरकार का अनुमान है। नवंबर 2016 में मोदी सरकार ने ब्लैकमनी पर अंकुश लगाने के लिए 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट का लीगल टेंडर रद्द कर दिया था।
इसके बाद सरकार ने इनडायरेक्ट टैक्स रिफॉर्म किया। जिसके तहत सिंगल टैक्स सिस्टम गूड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) लाया गया। पूरे देश में 1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू हो गया है। इन दोनों ही रिफॉर्म्स का असर शॉर्ट टर्म इकोनॉमिक गतिविधियों पर पड़ा और ग्रोथ रेट धीमी हुई। बीते जून तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ 5.7 फीसदी पर आ गई थी, जोकि तीन साल में सबसे कम थी।
इकोनॉमिक सर्वे में 7-7.5% ग्रोथ का अनुमान
संसद में पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे में 2018-19 में ग्रोथ रेट का अनुमान 7-7.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ग्रोथ रेट में तेजी ग्लोबल इकोनॉमी के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए जरूरी होगी। ग्रोथ अधिक समावेशी और पब्लिक सेक्टर के लिए प्रभावी होनी चाहिए।