स्मार्टफोन पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा

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हाल में एक स्टडी में कहा गया है आने वाले समय में 2040 तक स्मार्टफोन्स और डेटा सेंटर जैसी इन्फर्मेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाएंगी। कनाडा की मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की स्टडी में ऐसा दावा किया गया है।

इस रिसर्च में 2005 तक के स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट, डेस्कटॉप के साथ-साथ डेटा सेंटर्स और कम्यूनिकेशन नेटवर्क जैसी डिवाइसेज के कार्बन फुटप्रिंट की स्टडी की गई है।

इस स्टडी में यह पता लगा है कि न सिर्फ सॉफ्टवेअर के कारण इन्फर्मेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नॉलजी (आईसीटी) का कंजंप्शन बढ़ रहा है बल्कि हमारे अंदाजे से कहीं ज्यादा आईसीटी का प्रदूषण पर प्रभाव है।

ज्यादातर प्रदूषण प्रॉडक्शन और ऑपरेशन से हो रहा है। मैकमास्टर के असोसिएट प्रफेसर लॉफी बेलखिर के मुताबिक, ‘अभी प्रदूषण में इसका योगदान 1.5 पर्सेंट का है लेकिन अगर यही ट्रेंड चलता रहे तो 2040 तक कुल ग्लोबल कार्बन फुटप्रिंट में आईसीटी का योगदान 14 पर्सेंट होगा।

यह दुनियाभर के ट्रांसपॉर्टेशन सेकटर का लगभग आधा होगा। आप जब भी कोई टेक्स्ट मैसेज, फोन कॉल, विडियो अपलोड या डाउनलोड करते हैं तो यह सब एक डेटा सेंटर के कारण ही संभव हो पाता है।’

उन्होंने कहा, ‘टेलिकम्यूनिकेशन्ज नेटवर्क और डेटा सेंटर को काम करने के लिए काफी बिजली की जरूरत होती है और ज्यादातर डेटा सेंटर्स को जीवाश्म ईंधन के जरिए ऊर्जा की सप्लाई की जाती है।

यह ऊर्जा की खपत है जो हमें नहीं दिखाई देती है।’ जर्नल ऑफ क्लीनर प्रॉडक्शन में पब्लिश इस स्टडी में कहा गया है कि 2020 तक पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली डिवाइस स्मार्टफोन्स होंगे।

हालांकि ये डिवाइसेज बहुत कम एनर्जी पर रन करती हैं लेकिन इनके प्रॉडक्शन में 85 पर्सेंट तक प्रदूषण इनके प्रॉडक्शन में होता है। ये डिवाइस काफी कम समय चलते हैं जिसके कारण फिर से इनका प्रॉडक्शन किया जाता है।

जिससे और ज्यादा प्रदूषण बढ़ता है। प्रफेसर ने कहा कि 2020 तक स्मार्टफोन द्वारा किया जाने वाला एनर्जी कंजंप्शन पर्सनल कंप्यूटर और लैपटॉप से ज्याहा हो जाएगा।