प्रकृति पूजा, स्वाद और सेहत का संदेश देती है तारणा तेरसः नन्दलाल

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कोटा। स्वदेशी जागरण मंच कोटा महानगर एवं ‘‘कुटुम्ब प्रबोधन’’ के संयुक्त तत्वावधान में तारणा त्रयोदशी को प्राचीन जैव विविधता दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर बुधवार को संघ कार्यालय सूरज भवन पर 13 विविध प्रकार के अनाजों के सम्मिश्रण से तैयार व्यंजनों से भगवान का भोग लगाया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में संघ के वरिष्ठ प्रचारक नन्दलाल उपस्थित थे। वहीं विभाग संघ चालक बृजमोहन शर्मा भी मंच पर मौजूद रहे। नन्दलाल मेहता ने कहा कि कृति पूजा को सर्वोपरि मानने वाली भारतीय संस्कृति में वैज्ञानिक रहस्यों और शाश्वत सत्य से परिपूर्ण सदियों पुरानी परंपराएं विद्यमान हैं। जिन्हें ऋषि-मुनियों ने दिव्य अनुसंधानों के माध्यम से लोक तक पहुंचाया और पिण्ड से लेकर ब्रह्माण्ड तक के कल्याण के प्रयोग सुझाए।

इनमें से खूब सारे समय के साथ समाप्त हो गए और बहुत से रामबाण नुस्खों और इनसे जुड़ी परंपराओं को हमने भुला दिया। इन्हीं में से एक है तारणा त्रयोदशी व्रत, जिसके अस्तित्व को बनाए रखने के लिए स्वदेशी जागरण मंच और कुटुम्ब प्रबोधन ने पहल की। इसके सार्थक परिणामों का असर ये हुआ कि साल दर साल इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।

उन्होंने कहा कि इस दिन किया जाने वाला विशिष्ठ भोजन प्रयोग इतना अधिक दिव्य, गुणकारी एवं प्रभावी है कि इससे शरीर को साल भर के लिए ताजगी प्राप्त हो जाती है। साल भर में केवल एक बार इसका सेवन करने से विजातीय द्रव्य बाहर निकल जाते हैं और शरीर के लिए उपयोग सभी तत्वों का पुनर्भरण हो जाता है।

उन्होंने कहा कि यह माना जाता है कि साल भर हम गेहूं की अधिकता रखते हैं इससे दूसरे जरूरी पोषक तत्वों का अभाव रहता है। इसका पुनर्भरण यह व्रत अच्छी तरह कर देता है।  

आरोग्य, आनन्द और आत्मतोष प्रदान करने वाला तारणा तेरस का यह व्रत भारतीय परंपरा में पोषण विधियों की सर्वश्रेष्ठता के साथ ही जीव और शिव के संबंधों और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन का वह वार्षिक पर्व है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

यह बीमारियों से बचाता है और आरोग्य का वरदान देता है। इस दिशा में मंच द्वारा किए जा रहे प्रयास सराहनीय एवं अनुकरणीय हैं और इन पुरातन पोषण विधियों पर शोध-अध्ययन के लिए प्रेरित भी करते हैं।

‘‘कुटुम्ब प्रबोधन’’ के विभाग संयोजक त्रिलोक जैन ने कहा कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन तारणा त्रयोदशी पर बनाए जाने वाले 13 प्रकार के अनाजों के व्यंजन और 13 प्रकार की हरी सब्जियों की मिश्रित सब्जी न केवल स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि हाइपरटेंशन से भी बचाता है।

इस दिन एक दिवसीय व्रत साल भर तक निरोगी रखने लायक ऊर्जाओं का पुनर्भरण करता है। संचालन कार्यक्रम संयोजक प्रहलाद गोस्वामी ने किया। इस दौरान राजेन्द्र प्रसाद द्विवेदी, शैलेष भूतड़ा, ओमप्रकाश शर्मा, गौरव गुप्ता समेत कईं लोग मौजूद रहे।

13 प्रकार के अनाजों से लगाया भोग
स्वदेशी जागरण मंच के विभाग संयोजक राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि ब्राउन राइस, मक्का, जौ, ज्वार, बाजरा, माल, कुलथ, चीणा, कांगणी, सामा, मूंग, चना एवं गेहूं के आटे को मिलाकर रोटी बनाई गई।

इसी प्रकार 13 प्रकार की सब्जियों लौकी, कद्दू, तुरई, कीकोड़ा, करेला, टिंडोरी, भिंडी, पालक, चंदलोई, गिलकी, परवल, चंवला फली एवं ग्वार फली को मिलाकर मिक्स सब्जी बनाई गई थी।

इस भोजन में भरपूर प्रोटीन होता और यह डायबिटीज, ह्रदयरोग, हाईपरटेंशन आदि से बीमारियों से बचाता है। इसके साथ ही यह कैलोस्ट्रॉल को नियंत्रित और कब्ज का निवारण करता है।