जनसुनवाई में अतिक्रमण को लेकर अधिकारी और शिकायतकर्ता भिड़े

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कोटा। प्रशासन की जनसुनवाई गुरुवार को महज खानापूर्ति साबित हुई। समय पर न तो कलेक्टर पहुंचे और न ही अन्य अधिकारी। शिकायतकर्ता टैगोर हाॅल के बाहर इंतजार करते रहे। बाद में पहुंचे यूआईटी अधिकारियों से विश्वकर्मा नगर के शिकायतकर्ता भिड़ गए।

उन्होंने यहां तक कह दिया कि बार-बार कहते हो अतिक्रमण हटा दिया, जबकि वहां तो अतिक्रमण हटाने के लिए यूआईटी से कोई नहीं पहुंचा। इस पर अधिकारियों की उनसे बहस हो गई। बाद में 28 मार्च को वहां अतिक्रमण हटाने का फैसला किया गया। जनसुनवाई में एक घंटे तक नगर निगम व पुलिस के अधिकारी भी नहीं पहुंचे थे।

गुरुवार को कलेक्ट्रेट परिसर में जनसुनवाई का आयोजन किया गया था। दोपहर तीन बजे तक कोई अधिकारी नहीं पहुंचा। सवा तीन एसडीओ मोहनलाल परिहार तथा उसके बाद यूआईटी सचिव आनंदीलाल वैष्णव पहुंचे। उन्होंने यूआईटी के प्रकरणों की सुनवाई शुरू की।

सुनवाई के दौरान पौने चार बजे कलेक्टर रोहित गुप्ता तथा उससे पहले उपसचिव दीप्ति रामचंद्र मीणा तथा कृष्णा शुक्ला पहुंची। इस दौरान नगर निगम व पुलिस के अधिकारियों को लेकर आवाजें लगती रही, लेकिन वहां कोई भी अधिकारी चार बजे तक नहीं पहुंचा।

भड़क गईं उपसचिव
विश्वकर्मा नगर निवासी मैरी सिस्टर, बीआर शर्मा आदि ने सचिव आनंदीलाल वैष्णव को बताया कि उनके क्षेत्र में 20-25 लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। निशुल्क बिजली व पानी का उपयोग कर रहे हैं। वे पांच बार जनसुनवाई में आकर शिकायत दर्ज करवा चुके हैं। अधिकारी कहते हैं अतिक्रमण हटा दिए, लेकिन कहां हटाए हमें पता नहीं।

इस मामले में पोर्टल पर दर्ज करवा दिया कि कार्रवाई हो गई, लेकिन हमने फिर से लिखा कि कोई कार्रवाई नहीं हुई। यहां तो अभी तक कोई नहीं पहुंचा। इस पर सचिव व तहसीलदार इमामुद्दीन भड़क गए। उपसचिव दीप्ति मीणा भी भड़क गईं। उन्होंने कहा कि शिकायत दें, लेकिन किसी की अभद्रता बर्दाश्त नहीं करेंगे।