कोचिंग स्टूडेंट्स से काउंसलर भरवाएंगे मानसिक स्वास्थ्य प्रश्नावली

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कोटा। कोचिंग स्टूडेंट्स में सुसाइड प्रिवेंशन को लेकर अब एक नया प्रयोग किया जा रहा है। कलेक्टर के निर्देश पर बुधवार से न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में मनोचिकित्सा विभाग की ओर से कोचिंग संस्थानों के काउंसलर्स के ट्रेनिंग प्रोग्राम में इसकी जानकारी दी गई।

मनोचिकित्सा विभाग के एचओडी व अस्पताल अधीक्षक डॉ. देवेंद्र विजयवर्गीय ने बताया कि पहले दिन एक कोचिंग के 36 काउंसलर्स आए, जिन्हें विभाग के सेमीनार रूम में सुबह 10 से दोपहर 3 बजे तक ट्रेनिंग दी गई। इसी दौरान इन्हें इंटरनेशनल स्टेंडर्ड से तैयार 12 पृष्ठों की जीएचक्यू 12′ के बारे में बताया गया। यह एक मानसिक स्वास्थ्य प्रश्नावली है, जिसमें विभिन्न तरह के सवाल है।

डॉ. विजयवर्गीय ने बताया कि अब तक हुए सुसाइड की स्टडी से पता चलता है कि सुसाइड करने वाले बच्चों ने कभी काउंसलर्स की मदद ही नहीं ली। इसलिए अब यह प्रयास किया जा रहा है कि बच्चे के आने का इंतजार करने की बजाय सभी बच्चों की स्क्रीनिंग की जाए।

ट्रेनिंग में आए काउंसलर्स को यह प्रश्नावली दी गई है, जो वे सभी कोचिंग स्टूडेंट्स से दो-तीन माह के अंतराल में भरवाएंगे। इसमें तीन या इससे अधिक सवालों के जवाब पॉजिटिव आने पर उन्हें चिह्नित कर अलग से काउंसलिंग की जाएगी। इस प्रश्नावली में मरीज की पहचान पूरी तरह गोपनीय रहेगी, क्योंकि इसमें नाम की बजाय कोड डालने का प्रावधान है।

ट्रेनिंग में लाइव केसेज के जरिए यह भी बताया गया कि कैसे पहचानें कि बच्चा डिप्रेशन का शिकार है? मसलन वह कहे कि मेरी याददाश्त कमजोर हो रही है, ऐसा होने की वजह वह बताता है कि पढ़ाई में मन नहीं लगता। फिर इसी तरह से कई सारे सवाल पूछकर उन्हें लिंक करना होता है, तब पता चलेगा कि बच्चा डिप्रेशन में है या नहीं?

इसी तरह उन्हें काउंसलिंग के अलग-अलग तरीके, बातचीत करने के तरीके आदि बताए गए। डॉ. विजयवर्गीय के अलावा मनोचिकित्सा विभाग के ही सीनियर प्रोफेसर डॉ. बीएस शेखावत व असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मिथलेश खींची ने भी ट्रेनिंग दी। यह ट्रेनिंग प्रत्येक बुधवार व शनिवार को होगी।