GST लागू होने के 8 महीने बाद भी नहीं कर पा रहे रिटर्न फाइल

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नई दिल्ली। जीएसटी लागू होने के आठ महीने बाद भी जीएसटीएन पोर्टल पर रिटर्न फाइलिंग अभी तक मुश्किल काम बना हुआ है। फिक्की के जीएसटी पर किए सर्वे में 100 फीसदी कारोबारियों ने माना कि वह अभी तक जीएसटीएन पोर्टल के साथ प्रॉब्लम फेस कर रहे हैं। जीएसटीएन पोर्टल पर 5 एमबी से ज्यादा हैवी फाइल अपलोड ही नहीं होती। कारोबारियों का अकाउंटिंग का खर्च डबल हो गया है।

100 फीसदी कारोबारियों ने माना पोर्टल के साथ है दिक्कत
फिक्की के कराए सर्वे में 100 फीसदी कारोबारियों ने माना कि जीएसटीएन पोर्टल जीएसटी लागू होने के 8 महीने बाद भी ठीक तरीके से काम ही नहीं कर रहा है।

जीएसटीएन पोर्टल पर अभी तक कारोबारी जल्दी रिटर्न फाइल ही नहीं कर पाते। उन्हें अभी भी रिटर्न फाइल करने और डेटा अपलोड करने में 2 हफ्ते का समय लग जाता है। ये डेटा पोर्टल पर शो करने में ही 24 घंटे का समय लग जाता है। रिटर्न फाइलिंग में जब सिर्फ 2 दिन रह जाते हैं, तो पोर्टल काम ही नहीं करता।

गलती ठीक करने का ऑप्शन नहीं है पोर्टल पर
पोर्टल में रिटर्न फाइलिंग के समय कोई भी ट्रांजेक्शन ठीक करने या रिवाइज करने का कोई ऑप्शन ही नहीं है। पोर्टल पर डीलिट करना या मोडिफाई करना सबसे मुश्किल काम है। फाइलिंग के समय कारोबारी कई सारी टेक्निकल प्रॉब्लम फेस करते हैं जिसे लेकर पोर्टल पर कोई गाइडलाइंस नहीं है। इससे फाइलिंग का प्रोसेस और धीरे हो जाता है।

बढ़ा अकाउंटिंग का खर्च
रिटर्न फाइलिंग का प्रोसेस इतना ज्यादा मुश्किल है कि छोटी कंपनी के अकाउंटिंग डिपार्टमेंट को भी रिटर्न फाइलिंग में ज्यादा समय लगता है। उन्हें रिटर्न फाइलिंग के काम के लिए ज्यादा कर्मचारी रखने पड़ रहे हैं या अकाउंटिंग प्रोफेशनल की सलाह लेनी पड़ रही है। इसके कारण उनका अकाउंटिंग का खर्च डबल हो गया है।

हैवी फाइल नहीं होती अपलोड
जीएसटीएन पोर्टल पर हैवी फाइल अपलोड नहीं हो पाती। सिस्टम 5 एमबी की फाइल अपलोड ही नहीं कर पाता। ये समस्या एक हजार करोड़ रुपए से अधिक के टर्नओवर वाले कंपनियों के रिटर्न फाइलिंग में सबसे ज्यादा आ रही है। सिस्टम में लाइबिलिटी सेट ऑफ करना बड़ा चैलेंज है। अगर किसी अमाउंट में मिसमैच होता है या एक पंक्चुएशन एरर भी होता है तो सिस्टम एरर शो करने लगता है। इसके कारण इन्पुट क्रेडिट को सेटल करने में टाइम लग जाता है।

कारोबारियों ने दी सलाह अपग्रेड करें पोर्टल
सरकार को जीएसटी पोर्टल को तुरंत अपग्रेड करना चाहिए ताकि पोर्टल पर फाइलिंग की स्पीड और वॉल्युम को आसानी से ले सकें। ताकि सरकार को बार-बार फाइलिंग की डेट न बढ़ानी पड़े। आउटवर्ड और इनवर्ड इन्वॉइस के लिए एक ही रिटर्न फाइल होनी चाहिए।

उसकी मैचिंग अगले महीने होनी चाहिए। कारोबारियों के मुताबिक जीएसटीआर2 और जीएसटीआर3 की मैचिंग उन्हें अगले एक साल तक परेशान करने वाली है।इन्वॉइस पर एचएसएन कोड और समरी के बारे में बताना एक एवरेज टैक्सपेयर्स के लिए मुश्किल काम है। करीब 12 से अधिक जीएसटी रिटर्न की जगह एक ही सिंगल रिटर्न जाए।