कोटा में सिटी बस संचालन घोटाला, महापौर ने कंपनी को लगाई फटकार

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कोटा। शहर में दौड़ने वाले वाली सिटी बसें वर्कशॉप में जिस हालत में खड़ी थी, उसे देखकर महापौर महेश विजय सहित अधिकारी भी दंग रह गए। जिस कंपनी आर्या ट्रांस सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को बसें संचालित करने के लिए दी गई, उसने इन्हें कबाड़ा कर रखा था। कुन्हाड़ी वर्कशॉप में 13 से अधिक बसें खड़ी थी और एक भी ऐसी नहीं थी जो सही हो।

कुछ बसें बिना टायर की पत्थरों पर खड़ी थी तो कुछ के कांच टूटे हुए थे। स्टेपनी एक भी बस की नहीं थी। स्टेपनी की जगह केवल लोहे की रिम ही वहां थी। बसों के रखरखाव संबंधी कोई रजिस्टर वहां नहीं मिला। कर्मचारियों से बार-बार रजिस्टर मांगा, लेकिन उपलब्ध नहीं करवाया गया।

ये हकीकत उस समय सामने आई जब सोमवार को महापौर महेश विजय, पार्षद देवेंद्र चौधरी मामा व ध्रुव राठौर के साथ सिटी बस संचालन में गड़बड़ी होने की शिकायत पर निरीक्षण करने पहुंचे। महापौर जब वहां पहुंचे तो गेट से घुसते ही उन्हें पत्थरों के सहारे खड़ी बिना टायर वाली बस नजर आई। दो बसें ऐसी खड़ी थी, जिनके पुर्जे-पुर्जे निकल चुके थे और वे खटारा स्थिति में हो गई थी।

ये हालत देख उन्हें गुस्सा आ गया। वहां मौजूद कंपनी के प्रतिनिधियों को जमकर फटकार लगाई कि ये बसें चलाने के लिए दी थी या कबाड़ करने के लिए। क्या हालत कर दी इन बसों की। उसके बाद उन्होंने एक-एक करके 34 बसों की जानकारी मांगी। जिसमें काफी कमियां सामने आई। उसके बाद उन्होंने मौके से ही निगम आयुक्त डॉ. विक्रम जिंदल को फोन किया और पूरा घटनाक्रम और बसों की हालत बताई। उन्होंने आयुक्त से कहा कि इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाए तथा इनका ठेका निरस्त किया जाए।

कोई रूट तय नहीं
किस रूट पर कौन सी बस जाएगी, इसका भी पालन नहीं किया जा रहा है। जबकि शर्त में तय था कि बसों पर नंबर डाले जाएंगे और रूट तय किए जाएंगे। उस नंबर की बस निर्धारित रूट पर ही चलेगी। अभी कोई भी बस को किसी भी रूट पर चलाया जा रहा है।

कौन सी बस कितने किमी चली पता नहीं
महापौर ने कंपनी के प्रतिनिधियों से बसों की लॉगबुक मांगी, लेकिन किसी बस की लोग बुक नहीं भरी हुई थी। उन्होंने पूछा कि कौन सी बस कितने किलोमीटर चली तो इसका भी वे कोई जवाब नहीं दे पाए। इसके बाद बसें कब से खड़ी है कब चली थी, किस बस में क्या खराबी है इसके बारे में भी कोई रजिस्टर वहां नहीं मिला। 

वर्कआर्डर 66 लाख रुपए का, बिल 70 लाख का
नगर निगम ने कंपनी को 28 बसें संचालित करने के लिए दी गई थी, लेकिन उनके द्वारा सभी 34 बसें काम में ली जा रही थी। इतना ही नहीं कंपनी को 66 लाख रुपए का वर्कआर्डर दिया गया है और ये 70 लाख रुपए का बिल भेज रहे हैं, जो सरासर गलत है। 

एफआईआर दर्ज करवाएंगे, ठेका खत्म करेंगे
बसों के संचालन और रखरखाव में काफी गड़बड़ियां पाई गई। कंपनी को बसें चलाने के लिए दी गई थी, लेकिन उन्होंने कबाड़ कर दिया। इस संबंध में पूरी रिपोर्ट तैयार कर कार्रवाई की जाएगी। कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर उसका ठेका निरस्त किया जाएगा। – महेश विजय, महापौर