कोटा की कबूतरबाजी पर बनेगी शॉर्ट फिल्म

1141

कोटा। कोटा के करीब 200 साल से अधिक पुरानी कबूतरबाजी खेल पर पहली बार शॉर्ट मूवी बनेगी। कबूतरों की उड़ान से लेकर इनके डाइट सिस्टम और उड़ान भरने और इनकी होनी वाली प्रतियोगिता और कंपीटिशन को लेकर कोटा के युवा आर्टिस्ट सर्वेश हाड़ा के निर्देशन में डॉक्यूमेंट्री बनाना शुरू कर दिया है। अभी इसका ट्रेलर जारी कर दिया है। यह अप्रैल में जारी होगी।

शहर की पुरानी छतों से उड़ान भरने वाले विभिन्न नस्ल के कबूतरों को शामिल किया गया है। साथ ही देशभर की कबूतरबाजी की परंपराओं को भी इसमें शामिल किया है। हाड़ा ने बताया कि कोटा सहित देश में इसे शौकिया खेलने की पुरानी परंपरा है। हाड़ा ने बताया कि उनके निर्देशन में यह 45 मिनट की मूवी तैयार होगी।

इसका नाम द व्हाइट सर्कल रखा है। टीम में मोहित शर्मा, मुकेश अग्रवाल, अविनाश गोयल, मयंक गौड़ शामिल है। कोटा में दो दर्जन से अधिक छतें जिन पर है उड़ान होती है। जनवरी से फरवरी तक इनके गेम होते हैं।

देश में सबसे अधिक सात घंटे की टाइमिंग है कोटा की
प्रदेश के अलावा देश के अन्य स्थानों पर होने वाले कबूतरों की उड़ान की टाइमिंग में कोटा की सबसे अधिक सात घंटे की है। यानी यहां की उड़ान में सात घंटे से पहले आने वाले कबूतर को आउट मान लिया जाता है। जबकि देशभर के अलावा प्रदेश के जोधपुर, जयपुर, टोंक और भरतपुर में छह-छह घंटे की टाइमिंग है। यानी कोटा से अधिक किसी जगह की टाइमिंग नहीं है।

बाबा पिंजन फ्लाइंग एसोसिएशन के चेयरमैन शरद बाबा बताते है यह शहर की प्राचीन परंपरा है। जिसका 200 साल से अधिक समय से निर्वहन किया जा रहा है। उनकी छत पर करीब 2 हजार से अधिक कबूतर है। कंपीटिशन के लिए हर दिन देखभाल करनी होती है। इन पर करीब 50 हजार रुपए महीने खर्च होते हैं।

चार कर्मचारी इनकी व्यवस्था संभालते हैं। नवंबर से फरवरी तक उड़ान होती है। आठ महीने इनकी सेवा करनी होती है। 10 बोरी दाना और चार महीने के लिए उड़ान वाले कबूतरों के लिए 50 किलो ड्राइ फ्रूट्स यानी बादाम, पिस्ता, अखरोट और दाल खिलाई जाती है।