प्रसून जोशी नहीं आएंगे जयपुर लिटरेचर फेस्ट में

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जयपुर। सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सेंसर बोर्ड) के अध्यक्ष प्रसून जोशी इस साल जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) का हिस्सा नहीं बनेंगे। कई दिनों से कयास चल रहे थे कि करणी सेना के विरोध को देखते हुए प्रसून जोशी का सेशन कैंसल किया जा सकता है। प्रसून ने खुद लिटरेचर फेस्टिवल में शिरकत न करने की पुष्टि की। उन्होंने ये भी कहा कि फिल्म को सर्टिफिकेट सुझावों के आधार पर ही लिया गया है।

शामिल न हो पाने का दुख रहेगा
प्रसून ने कहा, “मैं इस बार Jlf में हिस्सा नहीं ले पा रहा हूं। मुझे इस साल साहित्य और कविता प्रेमियों के साथ Jlf में चर्चा और विचार विमर्श न कर पाने का दुख रहेगा, पर मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण साहित्य प्रेमियों, आयोजकों और वहां आए अन्य लेखकों को कोई भी असुविधा हो और आयोजन अपनी मूल भावना से भटक जाए।”

 रही बात फिल्म से जुड़े विवादों की, यहां मैं कहना चाहता हूं कि फिल्म पद्मावत को नियमों के अंतर्गत सुझावों को शामिल करते हुए, सकारात्मक सोच के साथ, भावनाओं का सम्मान करते हुए ही सर्टिफिकेट दिया गया है।”अब थोड़ा विश्वास भी रखना होगा।

विश्वास एक दूसरे पर भी और हमारी स्वयं की बनाई प्रक्रियाओं और संस्थाओं पर भी विवादों की जगह विचार विमर्श को लेनी होगी, ताकि भविष्य में हमें इस सीमा तक जाने की आवश्यकता न पड़े।”
‘मैं और वो’ पर होनी थी चर्चा

28 जनवरी को JLF में प्रसून जोशी का सेशन ‘मैं और वो’ अनु सिंह चौधरी के साथ रखा गया था, जिसे कैंसल कर दिया गया। ये सेशन जेएलएफ के फ्रंट लॉन में होना था।

पद्मावत को लेकर क्या आपत्ति थी?
राजस्थान में करणी सेना, बीजेपी लीडर्स और हिंदूवादी संगठनों ने इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप लगाया। राजपूत करणी सेना का कहना था कि ​फिल्म में रानी पद्मिनी और खिलजी के बीच सीन फिल्माए जाने से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची।

फिल्म में रानी पद्मावती को भी घूमर नृत्य करते दिखाया गया है। जबकि राजपूत राजघरानों में रानियां घूमर नहीं करती थीं। हालांकि, भंसाली पहले ही साफ कर चुके थे कि ड्रीम सीक्वेंस फिल्म में है ही नहीं।

कौन थीं रानी पद्मावती?
पद्मावती चित्तौड़ की महारानी थीं। उन्हें पद्मिनी भी कहा जाता है। वे राजा रतन सिंह की पत्नी थीं। उन्होंने जौहर किया था।