घोटाला :100 ग्राम सैंपल लेकर खरीद डाली चार अरब की मूंगफली

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बीकानेर। मूंगफली को छीलने पर उसके गोटे के बीच में यदि पीली और भूरे रंग की लकीर नजर आए तो समझो वह पुरानी है। नई फसल की मूंगफली का दाना अंदर से बिल्कुल सफेद होगा। इसी मापदंड के आधार पर सरकार अब तक बीकानेर और जोधपुर संभाग में चार अरब से अधिक की मूंगफली खरीद चुकी है।

जबकि इन मापदंडों के आधार पर 100 प्रतिशत अच्छी मूंगफली की खरीद संभव ही नहीं है। यह सहकारिता विभाग के अफसर भी मानते हैं। बीकानेर, जयपुर और जोधपुर संभाग में 30 से अधिक केन्द्रों पर इन दिनों समर्थन मूल्य पर मूंगफली की खरीद चल रही है। अच्छी क्वालिटी की मूंगफली खरीदने के लिए विभाग के मापदंड निर्धारित हैं।

हमनें सहकारिता विभाग के कुछ अफसरों और सर्वेयर एजेंसी के लोगों से बात की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। खरीद का तरीका ही ऐसा बताया, जिससे 100 फीसदी अच्छी क्वालिटी की मूंगफली खरीदी ही नहीं जा सकती। सरकार केवल किसानों को लाभ देने के लिए बाजार से अधिक दर पर उपज खरीद रही है।

बड़ा सवाल : एक ढेरी में पूरी मूंगफली तय मापदंड के अनुसार कैसे सही हो सकती है?
जवाब : अफसर मानते हैं सरकार के मापदंड के अनुरूप 100 प्रतिशत अच्छी मूंगफली की खरीद संभव नहीं
जिम्मेदार बोले

क्या कहा राजफैड एमडी ने 
100 प्रतिशत अच्छी मूंगफली की खरीद को लेकर मैं ऑफिशियल बात नहीं कर सकती। बारदाना अपने स्तर पर ही पुराना खरीदने के लिए एजेंसियों को कह दिया गया है। –डॉ. वीणा प्रधान, राजफैड एमडी 

सरकार की दोहरी नीति
किसानों को लेकर सरकार दोहरी नीति अपना रही है। जब उन्हें फायदा ही देना है तो मापदंड तय करने का कोई मतलब नहीं है। इसी वजह से मंडियों में तनाव के हालात बन रहे हैं। कांग्रेस सरकार के समय किसान की पूरी उपज खरीदी गई थी। 25 क्विंटल की लिमिट तय करना उचित नहीं है। भंवर सिंह भाटी, कोलायत विधायक