पद्मावत : देशभर में उग्र प्रदर्शन, सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मान रही करणी सेना

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नई दिल्ली/ कोटा । संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत का विरोध 6 राज्यों तक पहुंच गया है। जम्मू-कश्मीर समेत राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में राजपूत संगठन और उनके समर्थक विरोध कर रहे हैं। गुजरात, हरियाणा और राजस्थान में बुधवार को प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों में आग लगाई और पत्थरबाजी की। राजस्थान में चित्तौड़गढ़ किला बंद कर दिया गया।

गुड़गांव और चंडीगढ़ समेत हरियाणा के 4 शहरों में धारा 144 लगाई गई है। इस बीच करणी सेना के चीफ लोकेंद्र सिंह काल्वी ने कहा- हम देश में फिल्म को रिलीज नहीं होने देंगे। उधर, अरविंद केजरीवाल ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट और सरकार मिलकर सुरक्षा के साथ फिल्म रिलीज नहीं करवा पा रहे हैं। ऐसे में निवेश कैसे होगा। एफडीआई को भूल जाएं। लोकल इन्वेस्टर्स भी ऐसे में कतराएंगे। ये रोजगार के लिए बुरा है।

सेना के संरक्षक लोकेन्द्र सिंह कालवी ने फैसले पर निराशा जताते हुए बताया कि अब हम जनता के बीच जाएंगे। उन्होंने कहा कि फिल्म को रोकने के लिए हम पहले ही जनता कर्फ्यू की घोषणा कर चुके हैं। इसके तहत जनता सिनेमाघरों में फिल्म का प्रदर्शन रोकेगी। हमने सिनेमाघरों मालिकों और वितरकों से भी समर्थन और सहयोग मांगा है।

संगठन की चित्तौड़गढ़ इकाई के अध्यक्ष ने दावा किया कि ‘जौहर’ करने के लिए पंजीकरण करा चुकीं 1908 महिलाएं तैयार बैठी हैं। ‘जौहर’ के स्थान पर लकड़ियां जमा कर दी गई हैं।  उन्होंने कहा, ‘अब हम जनता की अदालत में खड़े हैं और हमें विश्वास है कि फिल्म का पूर्ण बहिष्कार करने में वह हमारा समर्थन करेगी।’

इस दौरान संगठन की चित्तौड़गढ़ इकाई के एक वरिष्ठ प्रवक्ता ने कहा कि रानी पद्मावती के शहर के लोग सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से निराश हैं। उन्होंने कहा, ‘हम चाहें तो हिसंक रास्ता अपनाकर लोगों और पर्यटकों को परेशान कर सकते हैं, लेकिन हमारी महिलाओं ने बिना किसी को परेशान किए जौहर करने का निर्णय लिया है।’

फिल्म देखने को दल गठित
कालवी ने बताया कि वह फिल्म नहीं देखेंगे। लेकिन फिल्म देखने के लिए इतिहासकार आर.एस. खंगारोत, बी.एल. गुप्ता, कपिल कुमार, रोशन शर्मा, मेवाड़ राज परिवार के सदस्य विश्वराज सिंह और बांसवाड़ा राज परिवार के सदस्य जगमाल सिंह को पैनल में शामिल किया गया है।

उन्होंने कहा कि फिल्म पहले देख चुके इतिहासकार कपिल कुमार उसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे मात्र इतना चाहते थे कि नौ इतिहासकारों को फिल्म दिखाई जाए। फिल्मकारों ने मात्र तीन इतिहासकारों को फिल्म दिखाई थी।

मध्य प्रदेश में उग्र प्रदर्शन, बल प्रयोग 
मध्य प्रदेश के भोपाल में करणी सेना, राजपूत समाज सहित हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और उन्होंने जिलाधिकारी कार्यालय में डेरा डाल दिया। प्रदर्शन में महिलाएं भी शामिल हैं। करणी सेना के सदस्य ऋषिराज ने कहा, ‘करणी सेना फिल्म का प्रदर्शन नहीं होने देगी। हमारा आंदोलन जारी रहेगा।’ 

इसी तरह ग्वालियर, इंदौर, उज्जैन, रतलाम और मुरैना में भी प्रदर्शन जारी है। कई स्थानों पर लोगों ने टायर जलाकर और सड़क जाम कर यातायात बाधित करने की कोशिश की। कई जगह पुलिस को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा। राज्य के विधि एवं विधायी मंत्री रामपाल सिंह ने संभलकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार समाज और न्यायालय के सम्मान का ध्यान रखते हुए फैसले की समीक्षा करेगी और आवश्यक कदम उठाएगी। 

जयपुर में आगजनी

राजस्थान में तीन आयोजन
 राजस्थान के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) एन.आर.के. रेड्डी ने बताया कि फिल्म के प्रदर्शन की तारीख, पांच दिवसीय जयपुर साहित्य उत्सव 25 जनवरी से शुरू हो रहा है और 26 जनवरी के दौरान प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी पुलिस अधीक्षकों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए है। यहां राजपूत नेताओं ने रानी पद्मिनी के सम्मान में केन्द्र सरकार से विवादित फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के लिए अध्यादेश लाने की मांग की है।

यूपी में प्रदर्शन-पथराव
पद्मावत विरोध की आग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी पहुंच गई। क्षत्रिय समाज ने ‘चेतावनी रैली’ निकाली तथा संजय लीला भंसाली का पुतला फूंक कर विरोध व्यक्त किया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कई युवकों ने सिनेमा हॉल मालिकों एवं प्रबंधकों से मिलकर धमकी-भरे लहजे में फिल्म नहीं दिखाने की अपील की है। 

हापुड़ के पिलखुआ सिनेमा हाल के बाहर नारेबाजी की गई। लखनऊ के जीपीओ पार्क स्थित गांधीजी की प्रतिमा के सामने एक संगठन ने फिल्म के विरोध में धरना दिया। आगरा में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा प्रदर्शन करेगा। संगठन के क्षत्रिय समाज की भावना को ध्यान में रखते हुए सिनेमाघरों से फिल्म का प्रदर्शन न करने का अनुरोध किया है। 

कानपुर के सर्वोदय नगर स्थित एक मॉल में नारेबाजी करते घुसी भीड़ ने मल्टीप्लेक्स में पथराव कर दिया। फिल्म के पोस्टर फाड़ने के बाद वेटिंग हॉल की कुर्सियां और मेज पलट दी। मल्टीप्लेक्स के मैनेजर ने 30-35 लोगों के खिलाफ बवाल, गाली-गलौज और मारपीट की एफआईआर दर्ज कराई है।

मथुरा में सशस्त्र प्रदर्शन
ब्रजमंडल क्षत्रिय राजपूत महासभा के अध्यक्ष ठा.मुकेश सिकरवार के नेतृत्व में मंगलवार राजपूत हाथों में बंदूक, तलवार, गदा, कटार, फर्से से लैस होकर कृष्णा प्लाजा में एकत्रित हुए। यहां राजपूतों ने फिल्म निर्देशक भंसाली के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। उन्होंने प्रदेश में इसके प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग थी।

गुजरात में प्रदर्शन पर शक 
 उधर, गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने गांधीनगर में कहा कि अदालत की ओर से प्रतिबंध पर रोक हटाने के बावजूद राज्य के अधिकतर सिनेमाघर मालिकों ने इसे प्रदर्शित नहीं करने का फैसला किया है। जो भी सिनेमाघर इसे प्रदर्शित करना चाहेंगे सरकार उन्हें सुरक्षा मुहैया कराएगी। सूरत में पुलिस कमिश्नर सतीष शर्मा ने कहा कि फिल्म के विरोध में पिछले दिनों उग्र प्रदर्शन के सिलसिले में दर्ज पांच मामलों में अब तक 42 लोगों को पकड़ा गया है तथा 29 अन्य को चिन्हित किया गया है। 

बिहार में विरोध मार्च, सिनेमाघर डरे
पटना में करणी सेना व अन्य संगठन बुधवार दोपहर दो बजे करगिल चौक से विरोध मार्च निकालेंगे। संगठन के बिहार अध्यक्ष धीरेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी। संगठन के संयुक्त बयान में कहा कि चार हजार लोग मार्च में भाग लेंगे।

जम्मू-कश्मीर
जम्मू के इंद्र सिनेमा हॉल के टिकट काउंटर पर पत्थरबाजी की गई। चश्मदीद ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि प्रदर्शनकारी पद्मावत के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे।

सिनेमा मालिकों ने होम मिनिस्ट्री को लिखा लेटर
 सिनेमा ऑर्नस एंड एक्जिबिटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAEI) ने होम मिनिस्ट्री ने गृह मंत्रालय को लेटर लिखा है। इसमें पद्मावत की रिलीज के दौरान थियेटर्स के बाहर पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की गई है।

 एसोसिएशन ने थियेटर्स को सलाह दी है कि वे पूरी सुरक्षा तय होने के बाद ही फिल्म रिलीज करें। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा ने एक अर्जी दायर की है। इसमें फिल्म के कुछ सीन हटाने की मांग की गई है।

विरोध गैर क़ानूनी
दूसरी ओर जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ़ राजस्थान के जिला महामंत्री दिनेश माहेश्वरी ने करनी सेना के विरोध को गैर क़ानूनी बताया है। कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश फिल्म रिलीज नहीं रोकने का है। सेंसर बोर्ड भी इसे पास कर चुका है। बिना फिल्म देखे विरोध करना अनुचित है।