इंजीनियरिंग साझा प्रवेश परीक्षा योजना ठंडे बस्ते में

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पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के विरोध को देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय  ने लिया फैसला 

नई दिल्ली। मेडिकल की तर्ज पर देशभर में इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए साझा एकल परीक्षा आयोजित करने की योजना पर ग्रहण लग गया है। पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के विरोध को देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) ने फिलहाल इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

तकनीकी शिक्षा की नियामक संस्था अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने बीते मार्च में वर्ष 2018 के अकादमिक सत्र से सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर साझा प्रवेश परीक्षा आयोजित कराने की घोषणा की थी।
विरोध के सुर को देखते हुए एचआरडी मंत्रालय का इरादा पहले सभी राज्यों को एक मंच पर लाने का है।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “साझा परीक्षा को अमल में लाने से पहले इस पर आम सहमति बनाना महत्वपूर्ण है। ऐसे में फिलहाल इस योजना को टाल दिया गया है। साझा काउंसलिंग के प्रावधानों पर भी राज्यों के साथ विचार-विमर्श जरूरी है।”एचआरडी मंत्रालय ने मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में दाखिले के लिए नेशनल एलिजबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट की तर्ज पर इंजीनियरिग कॉलेजों के लिए भी साझा परीक्षा आयोजित करने की पहल की थी।

सीबीएसई इंजीनियरिंग कोर्स के लिए जेईई-मेंस का आयोजन करता है। इसमें हर साल 11 लाख से ज्यादा छात्र हिस्सा लेते हैं। कई राज्य अपने स्तर पर भी प्रवेश परीक्षाएं आयोजित कराते हैं, जबकि कुछ कॉलेज अंक के आधार पर दाखिला देते हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में निजी इंजीनियरिंग कॉलेज भी अपने स्तर पर प्रवेश परीक्षाएं लेते हैं। देशभर में 3300 से ज्यादा मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। इनमें हर साल तकरीबन 16 लाख छात्र दाखिला लेते हैं।