फलौदी माताजी के चरण छूने के लिए उमडे़ हजारों श्रद्धालु

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कोटा/खैराबाद। रामगंजमंडी से 1 किमी दूर अखिल भारतीय मेडतवाल (वैश्य) समाज के तीर्थस्थल खैराबादधाम में सोमवार को बसंत पंचमी महोत्सव,2018 पारंपरिक पूजा-अर्चना के साथ मनाया गया। समाज की कुलदेवी मां फलौदी के देश में इकलौते दिव्य मंदिर पर सुबह से रात तक हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा।

कोटा, जयपुर, इंदौर, उज्जैन, भोपाल, ब्यावरा सहित कई शहरों से श्रद्धालु ट्रेनों व निजी वाहनों से जत्थे के रूप में दर्शन करने पहुंचे। शाम 5 बजे तक दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी रहीं।  समाज के बुजुर्गों ने बताया कि आराध्यदेवी श्रीफलौदी माताजी का प्राकट्य दिवस होने से इस दिन माताजी के चरणस्पर्श एवं पूजा करने का अनूठा अवसर मिलता है।

बड़ी संख्या में पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाओं एवं युवतियों ने मंदिर परिसर में दर्शन किए। माताजी को पंचमेवे का प्रसाद चढ़ाया गया। वैष्णव परंपरा के अनुसार, माताजी की महाआरती में बडी आरती, कपूर आरती, स्वर्ण चंवर, चांदी चंवर, हार माला व चांदी की छड़ी आदि से विभिन्न शहरों से आए परिवारों ने पूजा-पाठ व अनुष्ठान किया।

बसंत पंचमी महोत्सव पर सुबह मेला प्रांगण से मंदिर परिसर तक भव्य कलशयात्रा निकाली गई, जिसमें पारंपरिक परिधानों में सजे श्रद्धालु माताजी के भजनों पर गुणगान करते हुए जयकारे लगाते रहे। मंदिर परिसर में वर्ष में पहली बार माताजी को गर्भगृह से बाहर सिंहासन पर विराजमान किया गया।

कुलदेवी के चरणदर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु भक्तिभाव से लंबी कतारों में खडे़ रहे। अ.भा. नवयुवक संघ के अध्यक्ष मनीष गुप्ता अलोद वाले ने बताया कि मध्यप्रदेश व राजस्थान से आए नवयुवकों ने दर्शन व्यवस्था में सहयोग किया। दर्शन के पश्चात छप्पनभोग स्थल पर महाप्रसादी का वितरण हुआ।

जीवन में खिला उठा नया बसंत
इस सिद्धपीठ पर मेडतवाल समाज के कई नवयुगल दम्पत्ति परिवार सहित दर्शन करने पहुंचे और पूजा-अर्चना की। उन्होंने बताया कि 1 वर्ष पूर्व खैराबादधाम में हुए द्वादशवर्षीय मेले में वे दाम्पत्य सूत्र में बंधे। माताजी की आराधना से उनके जीवन में नया बसंत आया है।

मान्यता है कि फलदायिनी मां फलौदी के मंदिर पर मांगी हुई हर मन्नत पूरी हो जाती है। बंसत पंचमी के दिन मध्यप्रदेश व राजस्थान के विभिन्न शहरों व कस्बों से पहुंचे अभिभावक अपने बच्चों के सगाई-संबंधों पर चर्चा करने में व्यस्त रहे।