सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगों में आध्यात्मिकता की जरूरत

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कोटा। शैक्षणिक रूप से सशक्त होने से ही काम नहीं चलेगा। उसके लिए सृजनात्मक शक्ति को जगाने और सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगों में आध्यात्मिकता की जरूरत है। उक्त विचार स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस पर इंस्टीट्यूट्स ऑफ इंजीनियर्स भवन में आयोजित तकनीकी व्याख्यान पर डॉ. विवेक माधव ने व्यक्त किए।

डॉ माधव ने मुख्य वक्ता के रूप् में ककहा कि 155 साल पूर्व जन्मे स्वामी विवेकानंद के विचार आज भी प्रासंगिक है। एएसआई के पूर्व अध्यक्ष एससी अग्रवाल ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि रिसाईक्लिंग के द्वारा कचरे की समस्या से निदान पा सकते है तथा डम्पिंग की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

कोटा एनवायरमेंटल सेनीटेशन सोसायटी की अध्यक्ष डॉ. सुसेन राज ने कहा कि विवेकानंद के विचारों को आधार मान कर ईको इंजीनियरिंग से हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते है। इंजीनियरिंग की बदौलत आज हम नल में पानी ला सके, लेकिन वह पानी वापस नालों के द्वारा नदियों को प्रदूषित कर रहा है। 

नई पीढ़ी को साथ लेकर उसे समझने की जरूरत है। हमारी आदतों में सुधार को विज्ञान से जोड़ा जाए और कचरे का पृथक्कीरण उसी प्रकार करलें जैसे गुल्लक के पैसों का करते हैं।  मसालादानी में मसाले अलग अलग रखते है। सुसेन राज ने कहा कि कचरा नाम की कोई चीज है ही नहीं, उसे संसाधन माना जाए।

उन्होंने पॉवर पाइंट प्रजेंटेशन भी दिया कि हमारी गलत आदतों से सागर में समस्या हो गई है। पक्षी और जलीय जंतुओं की मौत हो रही है। विशिष्ठ अतिथि डीएन नैनानी ने विवेकांनद के विचारों को दोहराते हुए कहा कि धर्म को आध्यात्मिकता से जोड़ने की जरूरत है। धर्म कुरीतियों से अलग होना चाहिए।

वाणिज्य महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. कपिल देव शर्मा ने कहा कि शिक्षा पद्धति में कुछ बातें छूट रहीं है, जिससे कर्म पर उसका प्रभाव नहीं दिख रहा। शिक्षा को आत्मसात करने की चुनौतियां बहुत है। प्रारम्भ में इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष सीकेएस परमार ने स्वागत भाषण में युवाओं को आध्यात्मिकता से जोड़ने पर जोर दिया।

मंच संचालन सचिव जसमत सिंह ने किया। कार्यक्रम में राजस्थान परमाणु बिजलीघर के पूर्व निर्देशक सीपी झाम्ब, लघु उद्योग काउंसिल के अध्यक्ष एलसी बाहेती, इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ सदस्य कैलाश भार्गव, डॉ. महेश पंजाबी आदि गणमान्य नागरिक मौजूद थे।