सरकार ने गिराई कोटा के उद्योगों पर बिजली, जनप्रतिनिधि इस्तीफा दें

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  •  सरकार की नीति और नीयत में खोट से हाडौती की जनता में आक्रोश
  • कोटा थर्मल की 34 वर्ष पुरानी 4 यूनिटें अवधि पार, तो देश में 50 वर्ष पुरानी कैसे चल रहीं
  • सरकार निजी उद्योगपतियों के लालच में जनता की रोजी-रोटी छीनने पर उतारू।

कोटा। उर्जा राज्यमंत्री पुष्पेंद्र सिंह ने गुरूवार को विधानसभा में कहा कि कोटा थर्मल की 4 पुरानी यूनिटें अवधि पार हो गई इसलिए यहां का कोयला छबड़ा भेजकर यूनिट-6 को चालू किया जाएगा। उन्होंने कालीसिंध थर्मल को घाटे में बताकर निजी हाथों में बेचने की बात कही। राज्य मंत्री के इस बयान पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कड़ी आपत्ति जताई।

प्रदेश महासचिव पंकज मेहता ने कहा कि यह कदम जनता एवं मजदूरों के साथ सरासर धोखा है। कोटा थर्मल की पहली यूनिट 34 वर्ष, दूसरी यूनिट 33 वर्ष, तीसरी 28 वर्ष तथा चैथी यूनिट 27 वर्ष 2 माह पुरानी होने के बावजूद पूरी क्षमता से सस्ती बिजली पैदा करने में सक्षम है। यदि इनकी कार्यक्षमता पर भरोसा नहीं है, तो पूरे देश में 50 वर्ष पुराने बिजलीघर कैसे चल रहे हैं?

दिल्ली में बदरपुर थर्मल 1971 से चल रहा है। कोटा बैराज 65 वर्ष पूरे करके अवधिपार हो चुका, लेकिन आज भी कोटा की शान है। इसलिए राज्य सरकार का यह तर्क केवल निजी क्षेत्र को फायदा पहुंचाने के लिए है।

कितने उद्योगों पर लगाएगी ताले

उन्होंने कहा कि विधानसभा में सवाल के जवाब में मंत्री ने बिजलीघरों को बेचने की घोषणा की तो कोटा के तीनों एमएलए सदन में चुप क्यों बैठे रहे। चुनाव घोषणा पत्र मे लाखों युवाओं को रोजगार देने का वादा करने वाली भाजपा सरकार रोजगार छीनने पर तुली है।

कोटा से पिछले तीन साल में उद्योगों पर निरंतर ताले लग रहे हैं, क्या जनहित में कोई सरकार ऐसे कदम उठाएगी। यह सिलसिला नहीं थमा तो कोटा की अर्थव्यवस्था चैपट हो सकती है। यह विकास का नहीं, विनाश का खेल है। निजी उद्योगपतियों ने मिलीभगत कर बिजली खरीदने की नियम व शर्तें बदलने की उच्चस्तरीय जांच हो।

हाडौती के तीन प्रमुख बिजलीघरों कोटा, छबड़ा तथा कालीसिंध सुपर थर्मल ने सस्ती दरों पर बिजली पैदा कर राज्य को बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया। जब छबड़ा व कालीसिंध में सुपर क्रिटिकल यूनिटें चालू करने का समय आया तो एक वर्ष में अधिकतम लाभ कमाकर घाटे की भरपाई करने की जगह इन्हे निजी क्षेत्र को बेचने की नीति क्यों बनाई।

कांग्रेस जनांदोलन करेगी

पिछले 2 माह से कोटा, झालावाड़, छबड़ा, सूरतगढ़, रामगढ़, धौलपुर, गिरल एवं माही में निजीकरण के विरोध में हजारों इंजीनियर्स, कर्मचारी तथा ठेका श्रमिक धरना व प्रदर्शन, कैंडल मार्च कर जनांदोलन कर रहे हैं। लेकिन सरकार की नीति और नीयत में खोट सामने आ जाने से 8 बिजलीघरों से इंजीनियर्स, कर्मचारियों तथा मजदूरों में गुस्सा है।