- स्थानीय निकायों के मनोरंजन कर जीएसटी से बाहर
- राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए बढ़ा सकेंगे जनोपयोगी सेवाओं पर शुल्क
- जमाखोरी रोकने के लिए 1 जुलाई से कुछ दिन पहले होगी दरों की घोषणा
नई दिल्ली। एकजुलाई से लागू होने वाले गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के तहत स्थानीय निकायों को चुंगी तथा अन्य शुल्कों के रूप में मिलने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए संभव है कि प्रॉपर्टी पर टैक्स और जनोपयोगी सेवाओं के शुल्क बढ़ा दिया जाए। स्थानीय निकायों द्वारा लगाए जाने वाले मनोरंजन कर को भी जीएसटी में समाहित नहीं किया गया है। इससे भी स्थानीय निकायों को राजस्व की प्राप्ति हो सकेगी।
राजस्व सचिव हसमुख आढिया ने मंगलवार को जीएसटी पर आयोजित विशेष कार्यशाला में संवाददाताओं को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों के तहत कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन और प्राकृतिक गैस अभी जीएसटी के दायरे से बाहर होगी। इन्हें जीएसटी में शामिल करने के बारे में हर वर्ष समीक्षा की जाएगी।
शराब भी जीएसटी से बाहर है। तंबाकू पर सेस लगेगा। जीएसटी से घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। स्वदेशी उत्पाद आयातित उत्पादों के समक्ष प्रतिस्पर्धी हो जाएंगेे। राजस्व सचिव ने कहा कि जीएसटी की तैयारी पूरी हो चुकी है। किस उत्पाद अथवा सेवा को किस स्लैब में रखना है यह भी जल्द तय कर लिया जाएगा। कर जमा कराने वाले मौजूदा करदाताओं में 71% ने जीएसटी के लिए पंजीकरण करा लिया है।
अभी 5 पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी से बाहर रखा गया है। इनमें कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन और प्राकृतिक गैस शामिल हैं। इन्हें जीएसटी में शामिल करने के बारे में हर वर्ष समीक्षा की जाएगी। सचिवोंकी फिटमेंट कमेटी भले ही तय कर ले कि किस वस्तु और सेवा पर कितना टैक्स लगेगा, उसे अभी सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
अभी नहीं किया जाएगा दरों का एलान
सूत्रों के अनुसार पहले घोषणा से चीजों की जमाखोरी हो सकती है। इसलिए 1 जुलाई से चंद रोज पहले दरों का ऐलान किया जाएगा।
अभी तक बजट में एक्साइज या कस्टम ड्यूटी में जो बदलाव होते थे, वे बजट घोषणा के साथ ही लागू हो जाते थे।
आयातित चीजों के दाम घरेलू से कम नहीं
अढिया ने बताया कि आयातित वस्तुओं पर टैक्स की दर घरेलू से कम नहीं होगी। इसका फायदा भी घरेलू कंपनियों को मिलेगा। यह एक मेक इन इंडिया को आगे बढ़ाएगा।
एसएमई की मदद के लिए सर्विस प्रोवाइडर
छोटे कारोबारियों को समस्या हो इसके लिए 34 सर्विस प्रोवाइडर्स का चयन कर लिया गया है। दूसरे चरण में और सर्विस प्रोवाइडर्स सेलेक्ट किए जाएंगे। इसके अलावा जीएसटी प्रैक्टिशनर भी कारोबारियों की मदद करेंगे। केंद्र तथा राज्य सरकारों के दफ्तरों में रिटर्न भरने में मदद के लिए केंद्र बनाने की भी योजना है। स्थानीय भाषाओं में हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किए जाएंगे।
नहीं बढ़ेगी महंगाई
राजस्वसचिव ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद महंगाई नहीं बढ़ेगी। जीएसटी से वस्तु एवं सेवाओं की कीमतों में वृद्धि की संभावना नहीं है, जैसा कि नई टैक्स व्यवस्था लागू करते समय दूसरे देशों में हुअा। भारत में जीएसटी सुचारू रूप से लागू होगा।
कारोबारियोंकी होगी ‘कंप्लायंस रेटिंग’
अढियाने बताया कि समय पर टैक्स और रिटर्न जमा करने वालों को ‘कंप्लायंस रेटिंग’ दी जाएगी। यह जीएसटीएन पर सार्वजनिक रूप से दिखेगा। इससे कारोबारी तय कर सकेंगे वह कम रेटिंग वाले के साथ बिजनेस करना चाहते हैं या नहीं। जीएसटीएन सीईओ प्रकाश कुमार ने बताया कि रेटिंग का तरीका बाद में तय किया जाएगा।
निर्यातकों को 90% रिफंड 7 दिनों में
निर्यातकी जाने वाली वस्तुओं के लिए जीएसटी में ‘शून्य कर’ होने से भारतीय निर्यातकों को फायदा होगा। सस्ता होने के कारण वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगी। निर्यातकों को 90% टैक्स रिफंड सात दिनों में मिल जाएगा।