कर सहायक भर्ती में सामने आया बड़ा घोटाला

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  • 443 रखने थे, 139 ही पास हुए, गुपचुप नियम बदल 304 फेल अभ्यर्थियों को दे दी नियुक्ति
  • वर्ष 2011 में दी गई थी नियुक्तियां, अब सूचना के अधिकार के तहत हुआ खुलासा

जयपुर । वर्ष 2011 में वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा 443 पदों पर की गई कर सहायक की भर्ती में बड़ा घोटाला सामने आया है। विभाग ने 304 ऐसे अभ्यर्थियों को भी नियुक्ति दे दी, जिन्हें खुद विभाग ने प्रथम चरण की परीक्षा में फेल घोषित किया था। बावजूद इसके उन्हें दूसरे चरण की परीक्षा में शामिल किया गया। फिर उन्हें बकायदा नियुक्ति भी दे दी गई। यह बड़ा खुलासा जयपुर से हासिल सूचना के अधिकार के तहत ली गई जानकारियों में हुआ है।

विभाग ने बजट 2009 की घोषणा में 554 कर सहायकों की भर्ती निकाली थी। इनमें 20 फीसदी यानी 111 पद विभाग के मंत्रालयिक कर्मचारियों के लिए आवंटित किए गए, जबकि बाकी 443 पद अभ्यर्थियों से भरे जाने थे। नियम यह रखा गया कि प्रथम चरण में होने वाले दो पेपर में 200 में से न्यूनतम (40 फीसदी) 80 अंक हासिल करने पर ही उसे दूसरे चरण में होने वाली कंप्यूटर पात्रता परीक्षा में शामिल किया जाना था।

यहां रोचक यह रहा कि पहले चरण की परीक्षा में महज 139 अभ्यर्थी ही ऐसे थे, जो न्यूनतम 80 अंक हासिल कर पाए। शेष सभी फेल हो गए और उनका औसत प्राप्तांक भी महज 15 फीसदी ही रहा। विभाग के सामने संकट यह था कि 443 की तुलना में तीन गुणा यानी 1329 अभ्यर्थियों को दूसरे चरण के लिए बुलाना था।

ऐसे में विभाग ने गुपचुप यह रास्ता निकाला कि न्यूनतम अंकों की सीमा समाप्त कर फेल अभ्यर्थियों में से ही कुल 1190 अभ्यर्थियों का चयन कर लिया। फिर 1329 को दूसरे चरण के लिए बुलाया गया और अंत में 443 को नियुक्ति दे दी गई।
443 के तीन गुना 1329 की द्वितीय चरण में परीक्षा लेनी थी, लेकिन पास 139 ही हुए।

जो पूरी प्रक्रिया पर उठा रही सवाल

पहला नियम
पहले चरण की परीक्षा में 139 अभ्यर्थी ही पास हुए। फिर एकाएक नियमों में संशोधन कर फेल अभ्यर्थियों में से ही 1190 अभ्यर्थी और चयनित कर 1329 को बुलाया गया। इनमें 506 अभ्यर्थी पास हुए। फिर इन्हीं में से 443 को नियुक्ति दे दी गई। 

दूसरा नियम
विभाग ने आरपीएससी के जवाब का इंतजार किए बिना ही नियम बदल डाले। हालांकि रोचक यह भी है कि अभ्यर्थियों ने इस मामले में आरपीएससी से आरटीआई के तहत सूचना मांगी तो अफसरों ने ऐसे किसी पत्र की जानकारी होने से ही साफ इंकार किया।

गड़बड़ है तो जांच होगी
मामला बहुत पुराना हैं। फाइल देखने के बाद ही कुछ बता पाऊंगा। गड़बड़ है तो जांच हो जाएगी।
-आलोक गुप्ता, आयुक्त, वाणिज्यिक कर विभाग, जयपुर