किसानों के हित में चना और मसूर पर लगाई 30% इंपोर्ट ड्यूटी

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नई दिल्‍ली । गुरुवार को फाइनेंस मिनिस्‍ट्री की ओर से दिए गए बयान में कहा गया, आने वाले रबी सीजन में चना और मसूर की दाल का बंपर उत्पादन होने का अनुमान है। ऐसे में अगर दाल का सस्ता इंपोर्ट किया गया तो किसानों के हित प्रभावित होंगे।

इन सभी कारकों को नजर में रखते हुए और किसानों के हितों की रक्षा करने के चना और मसूर की कीमतों पर नियंत्रण बढ़ाने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार की ओर से इन दोनों दलहनों पर 30 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का फैसला लिया गया है। इसके बाद अब विदेश से सस्ती दालें नहीं आ पाएंगे, जिससे देश के किसानों को फायदा होगा। अब तक ये दलहन बगैर ड्यूटी के इंपोर्ट हो रहे थे।
 
 गुरुवार को फाइनेंस मिनिस्‍ट्री की ओर से दिए गए बयान में कहा गया, आने वाले रबी सीजन में चना और मसूर की दाल का बंपर उत्पादन होने का अनुमान है। ऐसे में अगर दाल का सस्ता इंपोर्ट किया गया तो किसानों के हित प्रभावित होंगे। इन सभी कारकों को नजर में रखते हुए और किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए यह फैसला लिया गया है।

गेहूं पर भी इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने पर विचार
इसके अलावा सरकार गेहूं पर भी इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने पर विचार कर रही है। इस समय गेहूं इंपोर्ट पर 20 फीसदी है। इसका मकसद रबी फसल के चालू मौसम में बुवाई को प्रोत्साहन देना और घरेलू कीमतों को समर्थन प्रदान करना है।
 
पिछले महीने बढ़ा था ड्यूटी
पिछले महीने ही सरकार ने गेहूं पर इंपोर्ट ड्यूटी को दोगुना करके 20 फीसदी किया था। इसका मकसद गेहूं के सस्ते आयात को कम करना और रबी मौसम में बुवाई के लिए किसानों को बेहतर कीमत मिलने का संकेत देना था। इसे बढ़ाने की अहम वजह निजी क्षेत्र के कारोबारियों द्वारा अप्रैल के बाद 10 फीसदी की इंपोर्ट चार्ज रेट पर 10 लाख टन गेहूं का आयात करना भी था।