जीएसटी : उधारी चुकाने की मियाद तय

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इंदौर। जुलाई से लागू होने वाली एकीकृत कर प्रणाली जीएसटी के इनपुट टैक्स क्रेडिट चैप्टर में नए नियम जारी कर दिए गए हैं। इसके तहत उधारी में माल खरीदने वाले व्यापारी को बेचवाल व्यापारी (जिसने उसे माल बेचा) का भुगतान 180 दिन यानी छह महीने में करना ही होगा। यदि इस समय-सीमा में उधारी नहीं चुकाई तो खरीदने वाले व्यापारी को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा।

इसके अलावा माल बेचने वाले व्यापारी का टैक्स भी खरीदने वाले को चुकाना होगा। बेचवाल द्वारा भरा गया टैक्स तो खरीदार व्यापारी को चुकाना होगा ही, इसके साथ उस पर छह महीने या ज्यादा का ब्याज भी चुकाना पड़ेगा। सीए भरत नीमा के मुताबिक ईमानदार और उधारी वसूलने में परेशान हो रहे व्यापारियों के लिए यह अच्छा प्रावधान है। जीएसटी के जरिए समय पर व्यापारियों की उधारी वसूली की व्यवस्था खुद सरकार ने कर दी है। जीएसटी का टैक्स रेट जारी होने के साथ ही प्रावधान के तहत ब्याज की दरें भी जल्द जारी हो जाएंगी।

देशव्यापी हो सकेगा व्यापार
नीमा के मुताबिक, जीएसटी एक देश एक बाजार की कल्पना पर आधारित है। अभी यहां का व्यापारी पैसा डूबने या उधारी के डर से सुदूर प्रदेश के व्यापारी से सीधे कारोबार करने में डरता है। उधारी चुकाने की मियाद लागू होने से व्यापारियों का यह डर खत्म होगा। ईमानदार कारोबार और देशव्यापी व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

अभी परेशानी है उधारी
बाजार के कई व्यापारियों के लिए उधारी वसूलना ताजा स्थिति में सिरदर्द से कम नहीं है। अहिल्या चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इडस्ट्री के सचिव सुशील सुरेका के मुताबिक उधार में माल लेने वाले कुछ व्यापारी तो ऐसे होते हैं, जिनसे वसूली नहीं हो पाती।
ऐसे में पूंजी अटकने से व्यापार की लागत और परेशानी बढ़ जाती है। इस स्थिति में वर्तमान कर प्रणाली में कोई व्यवस्था नहीं थी, लेकिन अंकुश के लिए बाजार ने अपना सिस्टम बना रखा था। कई तरह के व्यापार में नकद माल लेने वालों के लिए अलग रेट हैं और उधारी की मियाद के हिसाब से अलग। जीएसटी में सब कुछ ऑनलाइन होगा।

इसलिए हुई व्यवस्था
कई व्यापारी के साथ अधिकारी भी उधारी चुकाने की मियाद लागू होने से हैरान हैं। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर बाजार की उधारी से सरकार का क्या वास्ता। सीए नीमा के मुताबिक जीएसटी में क्रेडिट रेटिंग सिस्टम भी है। इसके जरिए समय पर टैक्स चुकाने से लेकर पालन प्रतिवेदन पर रेटिंग मिलेगी। ऐसे में समय पर उधारी नहीं चुकाने वाले व्यापारी इस सिस्टम से रडार पर आ जाएंगे। उनकी रेटिंग गिरेगी। आगे जाकर गड़बड़ी करने वाले व्यापारियों को ब्लैक लिस्ट में डालना भी संभव हो जाएगा।