फर्जी टिकट के मामले में प्रेस मालिक गिरफ्तार

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  • अधिकांश सरकारी विभागों की प्रिंटिंग के टेंडर एक ही प्रेस के पास
  • सिटी बसों के फर्जी टिकट छापने के मामले में नया खुलासा

कोटा। सिटीबसों के फर्जी टिकट के मामले में पुलिस ने जिस जय दुर्गा प्रिंटिंग प्रेस के मालिक को पकड़ा है, उस परिवार की शहर में तीन फर्में हैं और अधिकांश सरकारी विभागों की प्रिंटिंग इन्हीं के पास है। नगर निगम में फ्लैक्स से लेकर टिकट प्रिंटिंग का काम कई वर्षों से यही कर रहे हैं।

इस घटना के खुलासे के बाद नगर निगम द्वारा जांच की जा रही है। इधर, प्रेस मालिक की तरफ से शुक्रवार को मकबरा थाने में टिकट चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाने का प्रयास भी किया, लेकिन पुलिस ने दर्ज नहीं की।

शहर में संचालित सिटी बसों के फर्जी टिकट छापकर कंडक्टरों को दिए जा रहे थे। दो दिन पहले फर्जी टिकट के साथ नगर निगम के जेईएन ने एरोड्रम सर्किल से ललित कुमार को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में पता चला कि ये टिकट इंदिरा मार्केट स्थित जय दुर्गा प्रिंटिंग प्रेस पर छापे गए थे।

टिकट छापने का ठेका नगर निगम ने इसी प्रेस को दे रखा था। इसमें प्रेस मालिक की भूमिका भी सामने आने के बाद पुलिस ने गुरुवार को मालिक कैलाश गुर्जर को भी गिरफ्तार कर लिया था।

विज्ञाननगर पुलिस के जांच अधिकारी रमेश कुमार के अनुसार पूछताछ में पुलिस को पता चला कि इनकी अलग-अलग नामों से शहर में तीन फर्में हैं पास शहर के 16 जिलों के सरकारी विभागों की प्रिंटिंग का ठेका है।

इस सीरिज के टिकट पहले ही काम में चुके हैं, ये दुबारा छप गए थे जो निगम ने लौटाए थे। जब टिकट वापस लौटाए थे तो उन्हें खत्म क्यों नहीं किया या फिर उसके सीरियल नंबर क्यों नहीं बदले।

वो टिकट वापस बाजार में क्यों पहुंचे। इसके पीछे मंशा क्या थी। पुलिस ने कर्मचारी ललित को एक दिन के रिमांड पर लिया है उससे अन्य कंडक्टरों के बारे में पूछताछ की जा रही है।

टिकट चोरी की रिपोर्ट दी : इधर,प्रिंटिंग प्रेस की तरफ से मकबरा थाने में शुक्रवार को रिपोर्ट दी गई थी कि निगम की तरफ से ये टिकट रिजेक्ट कर लौटाए गए थे। ये टिकट चोरी हो गए। मकबरा सीआई भैंरुलाल मीणा का कहना है कि उनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई।

जब वे खुद आरोपी है और टिकट विज्ञाननगर थाने में जब्त हो चुके हैं तो फिर चोरी की रिपोर्ट अब क्यों दी जा रही है। यदि चोरी हुए थे तो पहले बताना चाहिए था, विज्ञाननगर में टिकट पकड़े जाने के बाद रिपोर्ट दर्ज करने का कोई औचित्य नहीं है।