आम बजट की तैयारियां शुरू, किसकी क्या मांग

855

नई दिल्ली । आम बजट 2018-19 की तैयारियां के मद्देनजर बैठकों का सिलसिला शुरू हो चुका है। बजट का खाका तैयार करने के लिए हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक की है। जहां एक ओर कॉरपोरेट जगत ने मांग की है कि कॉरपोरेट टैक्स को घटाकर 18 फीसद कर दिया जाए।

वहीं प्रधानमंत्री की Nar के सदस्य रतिन रॉय का कहना है कि सरकार का यह बजट लोकलुभावन नहीं होगा। हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको यह बताने की कोशिश करेंगे कि इस आम बजट के संबंध ने किसने क्या कुछ कहा है और अपनी मांगे रखी हैं।

गौरतलब है कि 1 फरवरी 2018 को पेश होने वाला आम बजट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट होगा, क्योंकि साल 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं।

अरुण जेटली ने प्री बजट मीटिंग में अर्थशास्त्रियों के साथ की बैठक बजट 2018-19 से पहले अर्थशास्त्रियों के समूह ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ एक बैठक की है। इसमें राजस्व सचिव हसमुख अढ़िया भी मौजूद थे। इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इनमें सोशल सिक्योरिटी पेंशन में बढ़ोतरी शामिल है।

दिग्गज अर्थशास्त्री जीन ड्रीज ने कहा, “सोशल सिक्योरिटी पेंशन की राशि 200 रुपये प्रति महीना है। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। इस राशि को इतना कम रखने की कोई वाजिब वजह नहीं है। इसे कम से कम 500 रुपये करना चाहिए, मेरा मानना है कि यह राशि 1000 रुपये होनी चाहिए और हो सके तो इसकी कवरेज भी बढ़ानी चाहिए। ”

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के सदस्य रतिन रॉय का मानना है कि केंद्र सरकार की ओर से पेश किया जाने वाला अगला आम बजट लोक लुभावन नहीं होगा और यह और खर्च की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करेगा।

उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता है कि केंद्र सरकार कोई  लाएगी। सरकार एक जिम्मेदार बजट पेश करने की कोशिश करेगी, जिसमें खर्च की गुणवत्ता और वादों पर पूरा ध्यान दिया जाएगा। मुझे नहीं लगता कि सरकार बजट को लोकलुभावन बनाने का प्रयास करेगी। मुझे पूरा भरोसा है कि राजनीति से जुड़े लोग भी इसे अच्छे से समझेंगे।”

किसानों की आय सुरक्षा के लिए कानून बनाने की मांग
आम बजट 2018-19 की तैयारियों में जुटी सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों की बजट से अपेक्षाओं और सुझावों पर चर्चा शुरू कर दी है। इसकी शुरुआत कृषि क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ ही शुरु हुई।

वित्त मंत्री से मिलने नॉर्थ ब्लॉक पहुंचे कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन के महासचिव बी. दसरथ रामी रेड्डी ने कहा कि किसानों, बटाईदारों और कृषि श्रमिकों के लिए आय सुरक्षा कानून बनाने की जरूरत है। रेड्डी ने कहा कि वर्ष 2012 में किसानों की औसत मासिक आय करीब 1600 रुपये थी जो जीवन निर्वाह करने के लिए मामूली है। इसलिए देश के कृषक समुदाय की मांग है कि आय सुरक्षा कानून बनाया जाना चाहिए।

पांच लाख तक की आय को कर मुक्त रखने की अपील
श्रम संगठनों ने सालाना पांच लाख रुपये की आय को आयकर से मुक्त रखने की मांग की है। साथ ही उन्होंने न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर तीन हजार रुपये प्रति माह तथा न्यूनतम मजदूरी भी बढ़ाकर कम से कम 18 हजार रुपये करने की मांग की है।

उद्योग जगत ने की कॉरपोरेट टैक्स कम करने की मांग
बजट पूर्व बैठक में उद्योग संगठनों ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से कॉरपोरेट टैक्स की दर घटाने की मांग की है। वित्त मंत्री के साथ हुई बैठक में उन्होंने नए निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहनों की भी मांग की। साथ ही निर्यातकों ने जीएसटी का रिफंड जल्द किए जाने पर जोर दिया।