आधार से सब्सिडी का विकल्प देगी सरकार?

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  • आधार सत्यापन नहीं होने की स्थिति में मोबाइल ओटीपी, कूपन और ऑफलाइन लेनदेन को सरकार की मंजूरी

  • आधार के पूरी तरह से लिंक होने और कनेक्टिविटी आदि समस्या खत्म होने तक जारी रहेगी वैकल्पिक व्यवस्था

नई दिल्ली। राशन कार्ड से आधार जुड़ा नहीें होने की वजह से झारखंड के एक परिवार को अनाज नहीं मिल पाया, जिससे 11 वर्षीया लड़की की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद सरकार अब आधार से जुड़ी सामाजिक कल्याण योजनाओं में खामियां दूर करने के प्रयास कर रही है।

नई व्यवस्था में कूपन, कार्ड आधारित ऑफलाइन लेनदेन और लाभार्थी के मोबाइल फोन सत्यापन के लिए वन-टाइम पासवर्ड भेजने जैसे उपाय शामिल हैं। सरकार इन विकल्पों की व्यवहार्यता की जांच के लिए जल्द ही प्रायोगिक परियोजना शुरू करेगी।

वर्तमान में केंद्र सरकार ने सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए आधार को अनिवार्य बना दिया है, लेकिन इसमें दो मोर्चों पर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पहला कई लाभार्थी ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक आधार क्रमांक मुहैया नहीं कराया है या सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से अपने आधार को नहीं जोड़ा है।

दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जिन्हें कनेक्टिविटी की समस्या या फिंगरप्रिंट के मेल नहीं खाने के कारण सरकारी सब्सिडी नहीं मिल पा रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय में पिछले महीने हुई उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘सत्यापन विफल रहने के मामले 13 से 15 फीसदी हैं।

इनमें करीब 10 फीसदी मामले खराब कनेक्टिविटी के कारण होते हैं जबकि पांच फीसदी से कम मामलों में लाभार्थी के बायोमेट्रिक का यूआईडीएआई डेटाबेस से मेल नहीं हो पाता है।’ यह विकल्प तब तक जारी रह सकते हैं जब तक कि देश भर की सभी पंचायतों को ब्रॉडबैंड से न जोड़ दिया जाए। सरकार 2018 तक सभी पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जुड़ने की उम्मीद कर रही है।

अधिकारी ने कहा कि 28 सितंबर को झारखंड में 11 वर्षीया लड़की की मौत के बाद उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई थी। उसके परिवार का आरोप था कि उन्हें राशन कार्ड पर राशन नहीं मिल रहा था क्योंकि वह आधार से नहीं जुड़ा था। सूत्रों के मुताबिक सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं में आधार जोडऩे का काम 50 फीसदी से भी कम हुआ है।

अधिकारी ने कहा, ‘हमने केंद्रीय मंत्रालयों और अन्य सरकारी एजेंसियों को निर्देश दिया है कि किसी भी लाभार्थी को आधार नहीं होने, कनेक्टिवटी या सत्यापन नहीं होने के कारण सरकारी सब्सिडी एवं लाभों से वंचित नहीं किया जाए। अगर ऐसा होता है तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।’

अधिकारी ने कहा, ‘यह व्यवस्था अस्थायी है और यह तब तक जारी रहेगी जब तक कि सभी मसले हल नहीं हो जाते। अधिकारियों को ऐसे मामलों के लिए अलग रजिस्टर बनाना होगा और लीकेज रोकने के लिए उसकी समीक्षा वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जाएगी।’

केंद्र सरकार ने मंत्रालयों और राज्य सरकारों से भी कहा है कि वे सेवाएं प्रदान करने के लिए अपनी व्यवस्था तैयार करें ताकि ऐसे लाभार्थी भी सरकारी सेवाओं का लाभ उठा सकें जो केंद्र पर नहीं पहुंच सकते हैं।

अधिकारी ने कहा, ‘राज्य सरकार स्वयंसहायता समूह या अपने कर्मचारियों की इसमें मदद ले सकती है।’ सरकार जल्द ही लोगों को आधार केंद्रों पर आकर अपने डेटाबेस के साथ मोबाइल नंबर अपडेट कराने को कह सकती है।