सहकारी गोदामों की क्षमता में एक लाख मैट्रिक टन का इजाफा

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सभी समितियों में गोदाम बनाने का है लक्ष्य – सहकारिता मंत्री 

जयपुर। सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक ने बुधवार को बताया कि राज्य में किसानों की उपज के भण्डारण की समस्या को दूर करने एवं उन्हें समय पर कृषि आदानों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हम सहकारी संस्थाओं की भण्डारण क्षमता में लगातार इजाफा कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि ग्राम सेवा सहकारी समितियों एवं क्रय-विक्रय सहकारी समितियों में विभिन्न योजना के तहत 800 से अधिक गोदामों का निर्माण कर लगभग 1 लाख मैट्रिक टन भण्डारण क्षमता सृजित कर रहे हैं।

श्री किलक ने बताया कि हमारी प्राथमिकता प्रत्येक ग्राम सेवा सहकारी समिति में गोदाम का निर्माण करना है वर्तमान में राज्य में 6 हजार 480 ग्राम सेवा सहकारी समितियां कार्य कर रही हैं।

जिनमें से 5 हजार 780 समितियों मेें गोदाम बना दिए गए हैं, शेष 680 समितियों को सूचीबद्ध कर लिया गया है। ऎसी समितियों में भूमि की उपलब्ध कराए जाने के लिए जिला प्रशासन के स्तर से प्रयास किए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि जिन समितियों में भूमि उपलब्ध होना संभव नहीं है और विद्यालयों के परिसीमन के कारण खाली हुए विद्यालय भवन उपलब्ध हैं ऎसे भवनों को शिक्षा विभाग की सहमति से गोदाम के रूप में काम में लिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि राज्य में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 100-100 मैट्रिक टन क्षमता के 255 गोदाम एवं 250-250 मैट्रिक टन क्षमता के 30 गोदाम का निर्माण लगभग पूर्ण हो चुका है।

सहकारिता मंत्री ने बताया कि झालरापाटन में प्रस्तावित 2500 मैट्रिक टन क्षमता के शीतगृह के निर्माण के लिए भूमि चिह्नित कर ली गई है, जिसके आवंटन की कार्यवाही करवाई जा रही है।

उन्होंने बताया कि सहकारिता क्षेत्र में बनने वाले शीतगृह को सितम्बर, 2018 तक प्रारम्भ करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है।

प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारिता अभय कुमार ने बताया कि राज्य में गोदाम निर्माण की प्रगति की लगातार मोनेटरिंग की जा रही है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2014-15 में 100 मैट्रिक टन क्षमता के 100 प्रस्तावित गोदामों में से 97 गोदामों का निर्माण हो चुका है, 3 गोदाम भूमि उपलब्ध नहीं होने के कारण निरस्त कर दिए गए हैं।

इसी प्रकार वर्ष 2015-16 में 100 मैट्रिक टन क्षमता के 100 प्रस्तावित गोदामों में से 94 का निर्माण हो चुका है, 3 गोदामों के संबंध में न्यायालय में विवाद लंबित होने के कारण निर्माण नहीं हो पाया है एवं 3 जगह भूमि की उपलब्धता नहीं होने के कारण स्वीकृति को निरस्त कर दिया है।

श्री कुमार ने बताया वर्ष 2016-17 की अवधि में 100 प्रस्तावित गोदामों में से 37 का निर्माण पूरा हो चुका है, 3 जगह भूमि उपलब्ध नहीं होने के कारण स्वीकृत गोदाम को निरस्त कर दिया गया है।

3 गोदामों में भूमि संबंधी विवाद होने के कारण निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं हो पाया है, शेष 57 में कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में प्रस्तावित 100 गोदामों में 54 की स्वीकृति जारी कर दी गई है, शेष 46 गोदामों के लिए दिसम्बर माह के अन्त तक स्वीकृति जारी कर दी जाएंगी।

कुमार ने आज शासन सचिवालय स्थित राष्ट्रीय सूचना केन्द्र में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य में गोदाम निर्माण के संबंध में समीक्षा कर संबंधित अधिकारियों को निर्देश प्रदान किए कि सभी गोदामों का निर्माण जुलाई, 2018 तक पूर्ण कर लिया जाए।

प्रमुख शासन सचिव ने बताया कि 13 क्रय-विक्रय सहकारी समितियों में 250 मैट्रिक टन क्षमता के गोदाम निर्माण की स्वीकृति जारी कर दी है और 7 समितियों के लिए दिसम्बर, 2017 तक स्वीकृति जारी कर दी जाएगी।