अनसोल्ड फ्लैटों पर लगेगा कुल मूल्य का 8 से 10 फीसदी टैक्स

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  •  फ्लैटों की जमाखोरी पर लगेगा अंकुश
  • अगले वित्त वर्ष से लागू होगा नया कर
  • अगस्त तक देश के प्रमुख आठ शहरों में करीब 9.50 लाख अनबिके फ्लैट का था स्टॉक
  • नए नियम से कीमतों में बढ़ सकती है प्रतिस्पर्धा

मुंबई। आयकर विभाग रियल एस्टेट डेवलपरों के पास एक साल से अधिक समय से पड़े अनबिके फ्लैटों पर टैक्स लगाने की तैयारी में है। इससे डेवलपरों के भविष्य में दाम बढऩे की उम्मीद में फ्लैटों को रोककर रखने की रणनीति पर लगाम लगेगी। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस तरह के फ्लैटों पर अगले वित्त वर्ष से ताजा कर लगाया जाएगा।

यह कर उन फ्लैटों पर लागू होगा जिन्हें डेवलपरों ने बिक्री के लिए स्टॉक (स्टॉक इन ट्रेड) के नाम रखा है। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि कर की दर संपत्ति की कुल कीमत की 8 से 10 फीसदी हो सकती है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) पहले ही इस बारे में आयकर अधिकारियों को आंतरिक दिशानिर्देश भेज चुका है। 

आय कर कानून की धारा 22 के तहत करदाता को संपत्ति से हुए मुनाफे पर आय कर लगेगा। अधिकारी ने कहा कि यह धारा स्टॉक इन ट्रेड पर भी लागू होगी। सूत्रों के मुताबिक संपत्ति के मूल्यांकन की गणना उसकी सालाना कीमत के आधार पर की जाएगी।

कर अधिकारियों का मानना है कि खासकर बड़े रियल एस्टेट डेवलपर सांठगांठ करके बाजार में कृत्रिम कमी दिखाते हैं जबकि असल में ऐसा नहीं होता है। अब तक वे अनबिके फ्लैटों को स्टॉक इन ट्रेड में दिखाकर कर से बचते रहे हैं। 

एक अधिकारी ने कहा, ‘हम पूरे देश में ऐसे अनबिके फ्लैटों के आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं जो एक साल से अधिक समय से डेवलपरों के पास पड़े हैं। कर विभाग राज्यवार ऐसे फ्लैटों की समीक्षा कर रहा है जो नई कर व्यवस्था के तहत आ सकते हैं।’

उन्होंने कहा कि फ्लैटों की कीमतों में गिरावट के बावजूद अनबिके फ्लैटों की संख्या में ठहराव की स्थिति है जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है। रियल एस्टेट सलाहकार लायसेस फोरास के ताजा आंकड़ों के मुताबिक रियल एस्टेट बाजार के लिए अहम 8 शीर्ष शहरों में कुल करीब 10 लाख अनबिके फ्लैट हैं जबकि 50 शहरों में यह आंकड़ा 11.5 लाख है।

यह स्थिति तब है जबकि पिछले दो सालों में रियल एस्टेट बाजार में 20 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। रियल एस्टेट सलाहकारों के मुताबिक बिक्री की मौजूदा रफ्तार को देखते हुए डेवलपरों को इन फ्लैटों को बेचने में कम से 44 महीने का समय लगेगा। 

लायसेस फोरास के संस्थापक और प्रबंध निदेशक पंकज कपूर ने कहा, ‘स्टॉक इन ट्रेड पर कर लगाने से रियल एस्टेट डेवलपरों पर बोझ पड़ेगा खासकर जब उन्हें मौजूदा बाजार कीमत पर स्टॉक बेचने में मुश्किल हो रही है। अलबत्ता इससे डेवलपर प्रतिस्पद्र्घी कीमत पर फ्लैट बेचने के लिए प्रेरित होंगे।’

सरकार ने नोटबंदी के जरिये काला धन रखने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है जिसका रियल एस्टेट बाजार में सकारात्मक असर पड़ा है। नोटबंदी के बाद कई डेवलपरों ने कीमतें घटाई हैं। लेकिन मुंबई, चेन्नई और बेंगलूरु में अब भी डेवलपरों ने कई कारणों का हवाला देते हुए कीमतें नहीं घटाई हैं।