जियो के कारण निवेश से पीछे हटीं टेलिकॉम कंपनियां

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नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल का कहना है कि रिलायंस जियो के फ्री वॉइस और डेटा ऑफर्स की अवधि बढ़ाने के कारण टेलिकॉम कंपनियां करीब 3,250 अरब रुपये तक के इन्वेस्टमेंट से पीछे हट रही हैं।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कर्ज के बोझ से दबे टेलिकॉम सेक्टर के लिए राहत पैकेज का रिलायंस जियो विरोध कर रही है। मित्तल ने इंटरव्यू में बताया कि भारती एयरटेल को टेलिकॉम इंडस्ट्री में तेजी से हो रहे कंसॉलिडेशन से फायदा मिला है।

उनका कहना था कि वोडाफोन इंडिया-आइडिया सेल्युलर के मर्जर से बनने वाली नई कंपनी को पीछे छोड़कर भारती एयरटेल मार्च 2019 तक मार्केट में रेवेन्यू शेयर के लिहाज से दोबारा पहले स्थान पर पहुंच सकती है।

उन्होंने कहा, ‘मार्केट में एक ऐसे लेवल तक कंसॉलिडेशन हो चुका है जहां एक आकांक्षा है, लेकिन दूसरे स्थान पर मौजूद वोडाफोन और तीसरे स्थान वाली आइडिया के एक साथ आने के बारे में कभी नहीं सोचा था। दो मजबूत कंपनियों के मर्जर को देखना हैरान करने वाला है।’

मित्तल ने आगे बताया कि उनकी कंपनी एयरसेल के साथ कंसॉलिडेशन की बातचीत करने के लिए तैयार है। एयरसेल की रिलायंस कम्यूनिकेशंस के साथ मर्जर की बातचीत हाल ही में टूट गई थी। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि एयरसेल के लिए केवल वोडाफोन-आइडिया या हमारे साथ बातचीत की संभावना है।’

एयरटेल ने पिछले वर्ष आठ सर्कल में एयरसेल का 2300 MHz में 4G स्पेक्ट्रम एक ट्रेडिंग डील के जरिए 3,500 करोड़ रुपये में खरीदा था। पिछले वर्ष रिलायंस जियो की फ्री कॉल्स और डेटा टैरिफ के साथ एंट्री से देश की टेलिकॉम इंडस्ट्री में खलबली मच गई थी।

इससे भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया और आइडिया जैसी पुरानी टेलिकॉम कंपनियों को अपने कस्टमर्स को बरकरार रखने और कॉम्पिटिशन में बने रहने के लिए अपने टैरिफ में भारी कमी करनी पड़ी थी। जियो ने इस वर्ष अप्रैल से डेटा के लिए बहुत कम रेट पर चार्ज लेना शुरू कर दिया था, लेकिन कंपनी वॉइस कॉल्स हमेशा के लिए फ्री दे रही है।

टैरिफ को लेकर कड़े कॉम्पिटिशन से सभी टेलिकॉम कंपनियों के रेवेन्यू, प्रॉफिट और कैश फ्लो पर नकारात्मक असर पड़ा है। इस वजह से वोडाफोन और आइडिया एक हुए हैं। इसके अलावा रिलायंस कम्यूनिकेशंस और एयरसेल जैसी छोटी टेलिकॉम कंपनियां बिजनस में बने रहने के लिए संघर्ष कर रही हैं।

टेलिकॉम इंडस्ट्री की लगातार खराब होती स्थिति के कारण सरकार ने इंडस्ट्री के लिए राहत के उपायों को सुझाने के लिए एक इंटर-मिनिस्ट्रियल ग्रुप बनाया है। मित्तल ने कहा, ‘मेरा अनुमान है कि कई कंपनियों ने लगभग 3,000 अरब रुपये के इन्वेस्टमेंट का इरादा छोड़ दिया है। इनमें से अधिकतर इंटरनैशनल इन्वेस्टर्स थे। इसका एक बड़ा कारण रिलायंस जियो की प्राइसिंग है।’