बी-फार्मा : सेमेस्टर सिस्टम में अंकों की जगह अब ग्रेडिंग

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हर्बल, कॉस्मेटिक, पर्यावरण साइंस, कम्यूनिकेशन स्किल पढ़ाया जाएगा

जयपुर। बी-फार्मा में हर साल होने वाली परीक्षाओं की बजाय अब सेमेस्टर सिस्टम में मिलने वाले अंकों के स्थान पर ग्रेडिंग मिलेगा।

साथ ही फार्मेसी डिग्री करने वाले छात्रों को अब हर्बल ड्रग टेक्नोलॉजी, कॉस्मेटिक एनवायरमेंट साइंस, फार्माकोविजिलेंस, नोवल ड्रग डिलिवरी सिस्टम, फार्मेसी प्रैक्टिस, कम्यूनिकेशन स्किल, बायो फार्मास्यूटिक्स एंड फार्माको काइनेटिक्स, क्वालिटी एश्योरेंस, मेडीसनल केमिस्ट्री, रेमेडियल बायलॉजी मैथेमेटिक्स, पाथफिजियोलोजी बायोस्टेटिक्स रिसर्च के बारे में भी पढ़ाया जाएगा।

हैल्थ साइंस यूनिवर्सिटी ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली की ओर से एकेडेमिक बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की बैठक आयोजित कर अध्यादेश में संशोधन कर ‘बी-फार्मेसी रेग्यूलेशन-2014’ सत्र 2017-18 से प्रभावी तरीके से लागू कर दिया गया है।

एनओसी के बाद ही कोर्स संचालित
डिग्री संचालित करने वाले संस्थानों को नए नियमों के तहत राज्य सरकार, पीसीआई नई दिल्ली हैल्थ साइंस यूनिवर्सिटी से एनओसी प्रमाण पत्र लेने के बाद ही डिग्री कोर्स संचालित कर सकेंगे।

फार्मेसी फैकल्टी डॉ. डी.एस. राठौड़ प्रवीण कुमार का कहना है कि रेग्यूलेशन के अनुसार हरेक सेमेस्टर 100 दिन से कम नहीं होगा।

थ्योरी प्रैक्टिकल में अलग-अलग 80% उपस्थिति अनिवार्य होगी। डिग्री लेने से पहले 208 क्रेडिंग पॉइंट लेने पड़ेंगे। 7 वें सेमेस्टर में 150 घंटे की प्रैक्टिस भी करनी पड़ेगी।

दो साल देरी से : फार्मेसीकाउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) नई दिल्ली की रजिस्ट्रार कम सचिव अर्चना मुद्गल के अनुसार दिसंबर -2014 में देश के विश्वविद्यालयों संस्थानों को एक समान कोर्सेज लागू करने के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी किया था।

लेकिन आरयूएचएस ने दो साल देरी से लागू करने पर सवाल उठने लगे हैं। हैल्थ साइंस यूनिवर्सिटी की एकेडेमिक काउंसिल की 12 अप्रैल 2017 को बैठक में लागू करने का निर्णय हुआ। इसे 19 अप्रैल को बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट (बॉम) के सदस्यों की आयोजित बैठक में अनुमति ली।