स्क्रीनिंग कमेटी के पास सबसे ज्यादा रेस्टोरेंट और बिल्डरों की शिकायतें

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नई दिल्ली । जीएसटी के अंतर्गत ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण’ के गठन को एक हफ्ते का समय ही बीता है लेकिन जीएसटी की एंटी प्रोफिटियरिंग स्क्रीनिंग कमेटी के पास शिकायतें आने का सिलसिला शुरू हो चुका है।

इस कमेटी के पास अब तक दर्जनों शिकायतें आ चुकी हैं। इस कमेटी के पास जीएसटी न घटाने की सबसे ज्यादा शिकायतें रेस्टोरेंट व बिल्डरों के खिलाफ आ रही हैं।

किस लिए बनाया गया प्राधिकरण:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 16 नवंबर को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण’ के गठन पर मुहर लगायी गयी थी।

इस बैठक के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा था कि इस प्राधिकरण की स्थापना इसलिए की जा रही है ताकि जीएसटी की दरों में कटौती का फायदा कम हुई कीमतों के रूप में ग्राहकों को मिले। जीएसटी की दरें घटने के बावजूद अगर किसी वस्तु या सेवा के दाम कम नहीं होते हैं तो यह प्राधिकरण कार्रवाई करेगा।

प्राधिकरण में कौन कौन सदस्य:
सरकार ने यह तय किया था कि भारत सरकार में सचिव स्तरीय वरिष्ठ अधिकारी जीएसटी ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण’ का प्रमुख होगा जबकि इसमें केंद्र और राज्यों से चार तकनीकी सदस्य होंगे।

प्रसाद ने कहा कि जीएसटी ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण’ के गठन के लिए कदम मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को प्रकट करता है। जीएसटी की दरों में कटौती का लाभ कीमतों में कमी के रूप में ग्राहकों तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार हर संभव कदम उठाएगी।