दुल्हे-दुल्हन ने पहले किया रक्तदान, फिर फेरे

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अनूठी पहल – भवानीमंडी में युवा रक्तदाता प्रदीप एवं किरण ने विवाह बंधन से पूर्व किया रक्तदान, हाड़ौती में पहला विवाह, जिसमें कन्यादान से पहले हुआ रक्तदान

अरविंद, कोटा। हाडौती में गुरूवार को एक विवाह समारोह ऐसा भी हुआ जिसमें वर-वधू ने विवाह बंधन में बंधने से पहले एक साथ रक्तदान किया। उनके साथ 31 बारातियों, रिश्तेदारों एवं परिचितों ने भी रक्तदान कर आशीर्वाद समारोह में सेवा का नया अध्याय रच दिया।

झालवाड़ जिले में रक्तदाता समूह से जुडे़ भवानीमंडी के 26 वर्षीय युवा व्यवसायी प्रदीप राठौर ने अपनी जीवनसंगिनी डूंगरगांव की किरण राठौर के साथ मुहुर्त देखकर सबसे पहले जरूरतमंदों के लिए दो यूनिट रक्तदान किया। उसके बाद रात्रि में पाणिग्रहण समारोह में उल्लास के साथ फेरे लिए।

एमए बीएड शिक्षित प्रदीप ने बताया कि रिश्ता तय होने के बाद हमने निश्चय किया कि शादी के पहले दिन किसी जरूरतमंद को जीवनदान देने जैसा पुण्यकार्य अवश्य करेंगे। वधू किरण बीए पास है। उसने पहली बार रक्तदान कर दाम्पत्य जीवन की शुरूआत की।

राजस्थान टेक्सटाइल मिल्स से रिटायर्ड पिता कामरेड श्यामलाल राठौर ने बताया कि बेटे के विवाहोत्सव में गुरूवार सुबह से दोपहर तक सेठ सीताराम धर्मशाला में लगभग 3 हजार लोगों का सामूहिक भोज हुआ।

उसके पश्चात् 3 बजे से रक्तदाता समूह द्वारा रक्तदान शिविर में 31 बारातियों, रिश्तेदारों व ईष्टमित्रों ने स्वैच्छिक रक्तदान कर उनका हौसला बढ़ाया।

परिवार में चार भाई-बहनों में सबसे छोटे प्रदीप ने एक वर्ष में 10वीं बार बी-पॉजिटिव रक्तदान किया। झालावाड़ जिले में 6 माह पूर्व डेंगू प्रकोप के दौरान वे सबसे पहले एसडीपी रक्त देने वाले डोनर बने। मां चंद्रकांता ने वर-वधू को इस नेक पहल के लिए आशीर्वाद दिया।

वधू किरण के पिता सुरेश राठौर टेंट हाउस के साथ खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि जीवन में पहली बार विवाह के दिन कन्यादान से पहले हमने बेटी को रक्तदान करते हुए देखा। हमें गर्व है कि दोनों विवाह बंधन के शुभ मुहुर्त में परोपकार का मंगलकार्य किया।

रक्तदाता समूह के कॉर्डिनेटर जय गुप्ता ने बताया कि समूह के सभी रक्तवीरों में परिवार में जश्न जैसा माहौल दिखा। पूरे राज्य से समूह के युवा सदस्य उनके विवाहोत्सव में शामिल हुए। कई सदस्यों ने रक्तदान कर दिल से नवयुगल के दीर्घायु होने की कामना की।

रक्तदान के बाद भी समारोह की हर रस्म में दुल्हे-दुल्हन के चेहरे पर थकान की बजाय मुस्कान तैरती रही। बुजुर्गों ने इस पहल को प्रेरक बताया।