कर्ज और फर्ज से ईश्वर ही बचाता है – पं. नागरजी

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ब्रम्ह ज्ञान होने पर इंसान भूत नही कहलाता है, इसलिए संसार मे केवल तन लगाओ, लेकिन मन को प्रभु के चरणों मे बसने दो

अरविंद, कल्याणपुरा/कोटा। दिव्य गौसेवक संत पं. कमलकिशोर ‘नागरजी’ ने कहा कि आजकल पद और प्रतिष्ठा का बोध सबको रहता है। सांसारिक जीवन मे ‘ ये मेरा है’ हम इसी भ्रम में उलझे हुए हैं लेकिन ‘ईश्वर मेरा है’ यह कहना और समझना भूल गए।

बुधवार को कोटा- चित्तौड़ फोरलेन पर कल्याणपुरा में चल रही श्रीमद भागवत कथा के तीसरे सोपान में उन्होंने कहा कि फर्ज और कर्ज से ईश्वर ही हमे बचाता है, इसलिए उसकी भक्ति से जुड़े रहो। उन्होंने कहा कि जब घर मे कुंवारी बेटी हो तो पिता को अपने फर्ज की चिंता रहती है।

इसी तरह किसान मेहनत करके भी गले तक कर्ज में डूबे रहते हैं। इससे उबरने के लिए ईश्वर को साक्षी मानकर अपने कर्म करते रहें। अपने और अपनों के कर्म का बोध अवश्य करें।

भक्तों से खचाखच भरे विराट पांडाल में उन्होंने कहा कि जीवन किसलिए मिला था और हमने कहाँ लगा दिया, हम इसका बोध करते चलें। कहीं जिसने ये जीवन दिया, उसे भूल तो नही गए।

एक प्रसंग से उन्होंने समझाया कि छोटी कैंची से बड़ी बोरी काटने लगोगे तो वह खराब हो जाएगी। पहले उसकी क्षमता देखो कितनी है।

आजकल आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर भी दिखावे में बड़े गार्डन या मैरिज हाल में शादियां हो रही हैं। यही खर्च बाद में कर्ज में बदल जाता है। हमे जो दिखता है, वो हम है नहीं, इसी कारण से इंसान उलझनों में घिर जाता है।

नींद पूरी हो न हो, सपने पूरे हो
मालवी भाषा में पूज्य नागरजी ने कहा कि गांव में कथा के बाद शांति रहती है लेकिन चुनाव के बाद सरपंच गांव में आए तो शांति भंग हो जाती है। क्योकि दूसरे को पद मिलते ही पहला इंसान भूतपूर्व हो जाता है।

लेकिन कथा में ब्रम्ह ज्ञान होने पर इंसान भूत नही कहलाता है। इसलिए संसार मे केवल तन लगाओ लेकिन मन को प्रभु के चरणों मे बसने दो।

अंत मे उन्होंने कहा कि नींद पूरी हो न हो, सपने पूरे होने चाहिए । भजन-सत्संग के सपने मन मे पालो, वो पूरे हो जाये, यही सत्कर्म है।

आधुनिक फैशन और पहनावे पर उन्होंने कहा कि कलियुग में भारतीय वेशभूषा को बचाकर रखना, ताकि हिन्दुधर्म की पहचान बनी रहे। कथा सूत्र में उन्होंने कहा कि एक लाचार और एक अबला को कभी ताने मत मारना।

पांडाल को बढ़ाया
कथा आयोजकों ने बताया कि तीसरे दिन भक्तों की संख्या बढ़ जाने से पांडाल का विस्तार किया गया। 100 बीघा भूमि पर कथा स्थल में 2 लाख वर्गफीट का विराट पांडाल महिलाओं व पुरुषों से खचाखच भरा रहा। कोटा व बारां जिले से बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रवचन सुनने पहुँचे।