खपत वाले राज्यों में भी कम रहा जीएसटी संग्रह

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नई दिल्ली । वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से खपत वाले राज्यों में राजस्व में वृद्धि होने की उम्मीद थी, लेकिन अब तक के आंकड़े कुछ और ही तस्वीर दिखा रहे हैं।

शुरुआती महीनों में जीएसटी के संग्रह का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि न सिर्फ उत्पादक, बल्कि उपभोग करने वाले राज्यों में भी जीएसटी संग्रह अनुमान से कम रहा है।

माना जा रहा है कि अमल में खामियों के चलते कारोबारियों को हो रही दिक्कतों के चलते ही जीएसटी संग्रह कम रहा है।जीएसटी काउंसिल के सूत्रों के मुताबिक अक्टूबर में सिर्फ दिल्ली को छोड़ बाकी सभी राज्यों में कर संग्रह पहले के अनुमान से 7,560 करोड़ रुपये कम रहा है।

चिंताजनक बात यह है कि जिन राज्यों की आबादी अधिक है और जिन्हें खपत वाला सूबा माना जाता है, वहां भी जीएसटी का संग्रह लक्ष्य से काफी कम रहा है।

वस्तु व सेवा कर लागू होने से पहले यह दलील दी जाती थी कि इससे मैन्यूफैक्चरिंग वाले राज्यों को भले ही राजस्व में कुछ कमी हो, लेकिन उपभोग करने वाले राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार में जीएसटी संग्रह अधिक रहेगा।

अक्टूबर में बिहार में जीएसटी संग्रह अनुमानित लक्ष्य से 41 प्रतिशत कम रहा, जबकि उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 17 प्रतिशत था। इसी तरह केरल में लक्ष्य के मुकाबले जीएसटी संग्रह 14 प्रतिशत कम रहा।

इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर, मेघालय और त्रिपुरा में भी अनुमानित लक्ष्य के मुकाबले जीएसटी संग्रह काफी कम रह गया।

हालांकि नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में प्रत्येक राज्य को राजस्व संग्रह में कमी की भरपाई का प्रावधान है, लेकिन यह रुझान चिंताजनक है।