लिंस्टैनटाइन के गुप्त खातों पर भरना पड़ेगा टैक्स: ट्राइब्यूनल

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मुंबई। तीन साल पहले अप्रैल 2014 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 18 नाम बताए थे जिनपर लिंस्टैनटाइन के एलजीटी बैंक में ब्लैक मनी जमा करने का आरोप था। लंबे समय से चल रहे इस केस में 4 आरोपियों के खिलाफ मामला अब अंतिम चरण में है।

एलजीटी बैंक में जिस मारनीचि ट्रस्ट का खाता था उसके लाभार्थी हसमुख आई गांधी, जिन्होंने स्वर्गीय नीरव गांधी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था, मधू एच गांधी और चिंतन एच गांधी थे।

अपने हालिया फैसले में इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल (ITAT) की मुंबई शाखा ने एलजीटी बैंक ने इन खातों की जमा राशि को अघोषित आय मानते हुए अपीलों को खारिज कर दिया है।

आईटीएटी ने अपने फैसले में कई वित्त वर्षों को शामिल किया था, इसमें 2001-02 भी शामिल था जब मारनीची ट्रस्ट को लाभार्थियों के खाते में जोड़ा गया था। लाभार्थियों द्वारा दायर की गई अपीलें एक जैसी थीं, उनका पक्ष सुना गया और बाद में उन्हें खारिज कर दिया गया।

टैक्स विभाग को मिली जानकारी के मुताबिक, 31 दिसंबर, 2001 तक बैंक स्टेटमेंट में खाते का ओपनिंग बैलेंस 3,09,154 डॉलर (1.95 करोड़ रुपये) था। लाभार्थियों ने इस आय पर टैक्स रिटर्न में इस आय की जानकारी नहीं दी थी। आईटीएटी ने ऐसे खातों को टैक्स भरने को कहा है।

अभी के लिए आईटीएटी के इस आदेश से आयकर अधिकारियों ने राहत की सांस ली है। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि आईटीएटी के फैसले के खिलाफ मारनीचि ट्रस्ट के लाभार्थी अपील फाइल करेंगे। ऐसा ही एक मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में लंबित है।

इस केस की शुरुआत 2008 में हुई थी जब एलजीटी बैंक के एक एंप्लॉयी ने बैंक के गुप्त खातों की जानकारी जर्मनी के टैक्स विभाग को बेच दी थीं। जर्मनी ने यह जानकारी कई देशों के टैक्स विभाग के साथ साझा की थी, जिसमें भारत भी शामिल था।

लाभार्थियों का आईटीएटी में पक्ष रखने वाले ने कहा कि जिस जानकारी के लीक होने से यह मामला शुरू हुआ वह चोरी का था न की विस्ल ब्लोअर का।