फिल्म “पद्मावती” के समर्थन में आया बूंदी का पूर्व राजघराना

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  • राजपूत युवा अफवाहों पर ध्यान देने की बजाय सकारात्मक कार्यों में खर्च करें ऊर्जा : बलभद्रसिंह

  • दावा -फिल्म में पद्मावती साहस, चातुर्य की मिसाल, विरोध करने वाले पहले फिल्म देखें फिर फैसला करें

बूंदी।  राजस्थान के बाकी राजघराने और संगठन फिल्म पद्मावती को रिलीज करने के खिलाफ मैदान में हैं तो उसके उलट बूंदी राजघराने के सदस्य खुलकर फिल्म के समर्थन में गए हैं। पूर्व राजपरिवार के सदस्य बलभद्रसिंह और वंशवर्द्धनसिंह का रुख उनसे जुदा है।

वे फिल्म का समर्थन करते हुए इसके रिलीज के पक्ष में हैं। पूर्व राजघरानों और विरोध कर रहे करणी सैनिकों, हिंदू संगठनों को लॉजिक पर बात करने की सलाह देते हुए उनका कहना है कि फिल्म देखे बिना विरोध, सिनेमाहॉल में तोड़फोड़ जैसी घटनाएं दुखद हैं।

राजपूत युवा ऊर्जा अफवाहों पर ध्यान देने की बजाए सकारात्मक कार्यों में करें। पहले सच्चाई परखें, फिर लगे कि फिल्म राजपूत संस्कृति-परम्पराओं और महारानी की मर्यादा-गरिमा के खिलाफ है तो विरोध करें। बूंदी राजघराना भी साथ है। संजय लीला भंसाली राजपूत प्रतिनिधियों को फिल्म दिखाने के लिए तैयार हैं।

फिल्म राजपूतों के गौरव और शौर्य की प्रतीक
फिल्म देख चुके लोग कह रहे हैं कि यह फिल्म राजपूतों के गौरव और शौर्य की प्रतीक है। फिल्म में रानी पद्मावती को साहस और चातुर्य की मिशाल बताया गया है। महाराजा रतनसिंह के शौर्य और सेनापति गौरा-बादल के पराक्रम को कहीं कम नहीं दिखाया गया है।

अलाउद्दीनको कहीं हीरो नहीं बनाया गया है। बलभद्रसिंह और वंशवर्द्धनसिंह का कहना है कि फिल्म का विरोध करने वाले अपनी राजनीति चमका रहे हैं। इस बारे में बलभद्र सिंह का कहना है कि फिल्म पदमावती को लेकर विरोध, तोड़फोड़ राजपूत गरिमा के खिलाफ और कायराना हरकत है।

उनके पास फिल्म का विरोध करने के पीछे कोई लॉजिक नहीं, वे अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं। दूसरी ओर, फिल् पद्मावती को लेकर पूरे प्रदेश में शनिवार को भी तमाम संगठनों ने प्रदर्शन किया। चित्तौड़गढ़ में किले के पाडनपोल पर दिया जा रहा धरना जारी रहा।