देश में पहले कोस्टल इकनॉमिक जोन बनने का रास्ता साफ

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश के पहले बड़े कोस्टल इकनॉमिक जोन (सीईजेड) को मंजूरी दे दी है। यह सीईजेड जवाहर लाल नेहरू पोर्ट में डिवेलप किया जाएगा।

सरकार की योजना इस तरह के 14 इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स को स्थापित करने की है। इन इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स को डिवेलप करके सरकार मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना चाहती है। साथ ही सरकार इन जोनों में ज्यादा-से-ज्यादा रोजगार के मौके उपलब्ध करवाना चाहती है।

अधिकारियों ने बताया कि लगभग 2,00 हेक्टेयर में प्रस्तावित इस सीईजेड के लिए ऑटो, टेलिकॉम आईटी आदि की 45 कंपनियां बोली लगाएंगी। इस प्रॉजेक्ट के बारे में बात करते हुए एक अधिकारी ने कहा, ‘इस प्रॉजेक्ट के पहले चरण में कुल 15,000 करोड़ का निवेश किया जाएगा। सरकार की योजना 1.5 लाख ने जॉब्स पैदा करने की भी है।

हमारी कोशिश है कि बड़ी कंपनियां यहां आए। बड़ी कंपनियों के पास बेहतरीन टेक्नॉलजी होती है, साथ ही वे अपने साथ भारी मात्रा में कैपिटल भी लेकर आतीं हैं। केंद्र सरकार ने पिछले साल बंदरगाहों के पास इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स के विकास के लिए चल ही सागरमाला परियोजना के तहत 14 सीईजेड बनाने की अनुमति दी है।

सीईजेड का उद्देश्य बंदरगाहों पर बिजनस का बेहतर माहौल तैयार करना है। इसके लिए एक्सपोर्ट और इंपोर्ट की सुविधा बेहतर की जाएगी। इन्वाइरनमेंटल क्लियरंस की प्रक्रिया को भी असान बनाया जाएगा। जवाहर लाल नेहरू पोर्ट देश के सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से एक है। अभी यहां से देश में होने वाले 40 फीसदी एक्सपोर्ट-इंपोर्ट का काम होता है।

इस बंदररगाह के पास भारी मात्रा में खाली जमीन भी है। इसीलिए सबसे पहले सीईजेड के लिए इस महत्वपूर्ण बंदरगाह का चुनाव सरकार द्वारा किया गया है। सीईजेड के विकास का प्लान नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया सबसे पहले लेकर आए थे।