बेरोजगार रहते हैं इंजीनियरिंग के 60% छात्र

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नई दिल्ली। इंजीनियरिंग  छात्रों को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के मुताबिक, हर साल देश भर के तकनीकी संस्थानों से करीब 8 लाख छात्र इंजीनियरिंग  करते हैं, जिनमें से 60 फीसदी से ज्यादा बेरोजगार रहते हैं।
इतना ही नहीं इंजीनियरिंग के 1 फीसदी से भी कम छात्र समर इंटर्नशिप में हिस्सा लेते हैं और 3,200 से ज्यादा संस्थानों द्वारा ऑफर किए जाने वाले सिर्फ 15 फीसदी इंजिनियरिंग प्रोग्राम को नैशनल बोर्ड ऑफ ऐक्रिडिटेशन (एनबीए) से मान्यता मिली है। इस सबका सबसे बड़ा कारण देश में तकनीकी कॉलेजों के स्टैंडर्ड्स में बड़े पैमाने पर पाया जाने वाला अंतर है। ज्यादातर संस्थान ऐसे ग्रैजुएट्स तैयार करते हैं, जो रोजगार योग्य नहीं होते हैं। इस रुझान को बदलने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत की तकनीकी शिक्षा में बड़े बदलाव की योजना बना रहा है। इस समस्या से निपटने की दिशा में जो पहला कदम उठाया गया है, वह देश भर में इंजीनियरिंग  संस्थानों में दाखिले के लिए एक सिंगल एंट्रेंस टेस्ट को अनिवार्य बनाया जाना है। इसके अलावा संस्थानों को मंजूरी के लिए वार्षिक शिक्षक प्रशिक्षण का अनिवार्य रूप से आयोजन करना होगा।
एचआरडी मिनिस्ट्री के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, नैशनल टेस्टिंग सर्विस (एनटीएस) इंजीनियरिंग  प्रोग्रामों में दाखिले के लिए पहला टेस्ट NEETI (नीति) का आयोजन करेगा जो पूरी तरह से कंप्यूटर आधारित होगा। उन्होंने बताया, ‘एनटीएस मेडिकल कोर्सों के लिए नीट और इंजीनियरिंग  के लिए नीति का आयोजन करने के लिए जनवरी 2018 तक पूरी तरह तैयार होगा। परीक्षाओं का एक साल में कई बार आयोजन होगा।’ योजना के मुजाबिक पहले नीति एग्जाम का आयोजन दिसंबर 2017-जनवरी 2018 में किया जाएगा, उसके बाद दूसरे एग्जाम का मार्च 2018 में और तीसरे का मई 2018 में आयोजन किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि एनटीएस आईआईटी के लिए भी प्रवेश परीक्षा का आयोजन करेगा।
2022 से पहले तक तकनीकी संस्थानों में 50 फीसदी प्रोग्राम को एनबीए के माध्यम से मान्यता दी जाएगी और सालाना प्रगति विश्वसनीय न होने पर संस्थान को मंजूरी नहीं मिलेगी।