सिक्कों की खनक बन रही मुसीबत का सबब

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  • आरबीआई ने तय की थी सिक्के जमा करने की सीमा
  • बैंकों के पास नहीं है सिक्के जमा करने की जगह
  • इनके कारण कारोबारियों को हो रही है भारी दिक्कत
  • एक साल में 40 फीसदी बढ़ी सिक्कों की उपलब्धता

कोलकाता। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जुलाई में एक परिपत्र जारी कर बैंकों में सिक्कों के रूप में जमाओं की अधिकतम सीमा 1,000 रुपये तय की थी।  इससे उन कारोबारियों के लिए बड़ी दिक्कत पैदा हो गई है, जिनके पास बड़ी मात्रा में सिक्के हैं।

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक ज्यादा समस्या 10 रुपये के सिक्कों की वजह से है। पिछले एक साल के दौरान इन सिक्कों की अर्थ तंत्र में उपलब्धता मूल्य के हिसाब से करीब 40 फीसदी बढ़ गई है।

बैंकों के पास पहले से ही नकदी रखने के लिए जगह की भारी किल्लत है। इसलिए वे जागरूकता अभियान चलाकर कारोबारियों को सिक्के स्वीकार करने के लिए राजी कर रहे हैं।

लेकिन नोटबंदी के बाद इनकी उपलब्धता ज्यादा हो गई है। वहीं नोटबंदी के कारण बैंकों की तिजोरियां भरी पड़ी हैं और उनके पास जगह की किल्लत है।

यही वजह है कि आरबीआई ने परिपत्र जारी कर 1 रुपये या उससे अधिक मूल्य के सिक्कों के रूप में दैनिक जमा की सीमा अधिकतम 1,000 रुपये तय की थी।

इस परिपत्र के मुताबिक 50 पैसे के सिक्के अधिकतम 10 रुपये तक ही जमा किए जा सकते थे। स्टेट बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘कारोबारी समुदाय सिक्के स्वीकार करने को तैयार नहीं है।

सिक्कों को जमा करना एक समस्या है क्योंकि इन्हें गिनने के लिए अधिक कर्मचारियों की जरूरत होती है और ये अधिक जगह घेरते हैं।

 आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 10 रुपये के सिक्कों का मूल्य 31 मार्च 2017 के अंत में 5,204 करोड़ रुपये था, जबकि यह 31 मार्च 2016 को महज 3,703 करोड़ रुपये था। इस तरह करीब 40.53 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

आरबीआई की सलाह पर बैंक ‘कॉइन कैंप’ आयोजित कर रहे हैं। सरकारी क्षेत्र के एक बैंक के अधिकारी ने कहा, ‘नोटबंदी के बाद करेंसी नोटों की जगह सिक्के दिए गए हैं।

आरबीआई ने हमें कॉइन कैंप आयोजित करने की सलाह दी थी लेकिन इससे हमें कोई मदद नहीं मिली क्योंकि कोई  भी सिक्के स्वीकार करने को तैयार नहीं है।’  

यूको बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘बैंक जमाएं बढ़ी हैं और जमा नकदी अभी आरबीआई को नहीं भेजी गई है। बैंकों में कोई जगह नहीं है और लोग भी सिक्के स्वीकार नहीं करना चाहते हैं। इससे बहुत अधिक असुविधा हो रही है।’

आमतौर पर ग्रे बाजार में सिक्के कम आपूर्ति के कारण 10 से 15 फीसदी ज्यादा कीमत पर बिकते हैं, लेकिन अब रुझान उलटा है। अत्यधिक आपूर्ति के कारण वहां सिक्के 10 से 15 फीसदी कम दाम पर बिक रहे हैं।