एसी कोच में डर्टी ब्लैंकेट से मिलेगी निजात, रेलवे ने शुरू किया प्रोजेक्ट

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    नई दिल्ली। ट्रेन के यात्रियों को अब गंदे व मोटा कंबल ओढ़ने की मजबूरी नहीं होगी। यात्रियों को अब विमान के यात्रियों की तरह एसी कंबल (लोई जैसा) ओढ़ने को दिया जाएगा। दरअसल अब ट्रेनों में भी यात्रियों के शरीर के तापमान के अनुसार ही कूलिंग होगी।

    प्रयोग के तौर पर ट्रेन में थर्मल कंफर्ट कंट्रोलर सेंसर एक्यूपमेंट लगाया जा रहा है। यह एक्यूपमेंट एयरकंडीशन को कट-इन-कट-आऊट कर तापमान को नियंत्रित करेगा। रेलवे ने वातानुकूलित कोच में अनियंत्रित वातानुकूलित को नियंत्रित करने वाले यंत्र का इजाद कर लिया है।

    थर्मल कंफर्ट कंट्रोलर सेंसर एक्यूपमेंट तापमान को तो नियंत्रित करेगा ही साथ ही ह्यूमिडिटी (आद्रता) को भी कंट्रोल करेगा। इसके साथ ही यव्ह मशीन यात्रियों के शरीर के तापमान, एयर वेलोसिटी व शरीर के मेटाबोलिक रेट को सेंस करेगा।

    यह सेंसर मानक 24 डिग्री सेल्सियस तापमान को बरकार करने के लिए एसी को मॉनीटर करेगा। इसका फायदा यह होगा कि ज्यादा कूलिंग व कम कूलिंग की समस्या से यात्रियों को नहीं जूझना पड़ेगा। 

    उत्तर रेलवे के चीफ मेकेनिकल इंजीनियर (सीएमई) अरूण अरोड़ के अनुसार बतौर पॉयलट प्रोजेक्ट थर्मल कंफर्ट सेंसर रीवा एक्सप्रेस व जम्मूतवी एक्सप्रेस में प्रयोग किया जा रहा है। यह सेंसर एसी टू कोच में तो सफल साबित हो रहा है, एसी थ्री में अभी ठीक से काम नहीं कर रहे है।

    इंजीनियरिंग विभाग एसी थ्री वाले कोच में भी इस सेंसर को बेहतर कर रहा है। दोनों ट्रेन के 13 कोच में प्रयोग सफल साबित दिखाई पड़ रहा है। कमियों को दूर कर इस तरह के सेंसर सभी ट्रेनों में लगाया जाएगा।

    बता दें कि इस सेंसर के सफल प्रयोग से यात्रियों को दो-दो महीने के अंतराल पर धुलाई होने वाले मोटे कंबल से मुक्ति मिल जाएगी। इसके जगह पर रेलवे भी विमानों की तरह पतला शॉल देना शुरू कर देगा। पतले शॉल की धुलाई भी आसान होगी।