औषधीय पौधों की खेती में लागत कम और कमाई ज्यादा

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कोटा।आजकल लोग रसायनिक सौंदर्य प्रसाधनों और रसायनिक दवाओं की जगह हर्बल सौंदर्य हर्बल औषधि के इस्तेमाल को प्राथमिकता दे रहे हैं। हर्बल उत्पादों की इस मांग का ही असर है कि मध्यप्रदेश के सैंकड़ों किसानों ने औषधीय सुगंधित पौधों की खेती शुरू कर दी है। यह कहना है कि मवास से आए किसान कन्हैयालाल गोचर का।

वे कॅरियर प्वाॅइंट यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर की ओर से आयोजित कंर्जेवेशन एंड नेचुरल रिसोर्सेज-स्ट्रेटीज फॉर फूड सिक्योरिटी इन डवलपिंग कंट्रीज विषय पर आयोजित दो दिवसीय काॅन्फ्रेंस के आखिरी दिन बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पांच बीघा जमीन पर मात्र 20 हजार रुपए खर्च करके एक लाख रुपए का मुनाफा हो रहा है।

काॅन्फ्रेंस के समापन अवसर पर सीपीयू के वीसी डाॅ. डीएन राव, स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर के डीन डॉ. एसएस तोमर, प्लानरी सेशन चेयरमैन डॉ. अशोक शर्मा ने गवर्नमेंट एग्रीकल्चर कॉलेज लालसोट के डीन डॉ. आरएस सैनी, गवर्नमेंट कॉलेज कोटा जूलॉजी डिपार्टमेंट डॉ. प्रहलाद दुबे आईसीएआर के वैज्ञानिक डॉ. एचआर मीणाको लाइफ टाइम अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया।

अंगूर के सेवन से नहीं पड़ेगी झुर्रियां : टेरीडेकिन में नैनो बॉयोटेक्नोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक संग्राम केशरी लेंका ने रिसर्च पेपर प्रस्तुत करते हुए कहा कि रिसर्च के बाद यह सामने आया है कि नए तरीके से उत्पादित अंगूर के सेवन से चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती। शरीर की कमजोर भी दूर होती है। जल्द ही इस नई टेक्नोलॉजी का पेटेंट करवाया जाएगा।