कल्याणपुरा गांव में पं.कमलकिशोर नागरजी की कथा 20 नवंबर से

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श्रीमद् भावगत कथा : कोटा से 70 किमी दूर कोटा-चित्तौड़ मार्ग पर कल्याणपुरा में 2 लाख वर्गफीट एरिया में बनेगा कथा का पांडाल। 

अरविंद, कोटा। दिव्य गौसेवक संत पूज्य पं.कमल किशोर नागर आगामी 20 से 26 नवंबर तक कोटा से 70 किमी दूर कल्याणपुरा गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह में प्रचवन देंगे।

आयोजक मांगीलाल धाकड़ ने बताया कि कोटा-चित्तौड़ फोरलेन राजमार्ग-27 पर कोटा से 70 किमी दूर स्थित कल्याणपुरा गांव के बाहर शुक्रवार को कथा स्थल का भूमि पूजन किया गया। इस चारागाह भूमि में लगभग 2 लाख वर्गफीट का अस्थाई विशाल पांडाल तथा पार्किग स्थल तैयार किया जा रहा है।

नियमित 12 से 3 बजे उनके ओजस्वी प्रवचन सुनने के लिए राज्य के अलावा मध्यप्रदेश व गुजरात से हजारों गौसेवक भक्त ट्रेन, बस व निजी वाहनों से पहुंचेंगे। कथा स्थल पर 70 हजार से अधिक गौभक्तों के बैठने की व्यवस्था की जा रही है। पांडाल में महिलाओं एवं पुरूषों के लिए अलग-अलग व्यवस्था होगी।

आयोजन समिति में सलावटिया के पन्नालाल एवं छीतरलाल लुहार ने बताया कि मांडलगढ़ तहसील में 1 हजार की आबादी वाल छोटे से कल्याणपुरा गांव में पं.नागरजी की पहली कथा होने से समूचे क्षेत्र में दीपावली जैसा उत्साह है।

आसपास के बिजौलिया, छोटी बिजौलिया, तड़ोदा, लक्ष्मी निवास, ढावदा, बेरीसाल, सुखपुरा, खड़ीपुर आदि दर्जनों गांवों से गौसेवक कथा स्थल की तैयारियां में जुट गए। कथा स्थल से 10 किमी की परिधि में तिलिस्वां महादेव, जोगनिया माता मंदिर व बीजासन माता मंदिर होने से यहां तीर्थस्थल जैसा माहौल देखने को मिलेगा।

उन्होंने बताया कि मांडलगढ़ रेलवे स्टेशन से 30 किमी दूर कथा स्थल तक पहुंचने के लिए बसों की सुविधा रहेगी। कथा में कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़, मालवा क्षेत्र, नीमच, रतनगढ़ निम्बाहेडा, भीलवाड़ा, चित्तौड़ आदि क्षेत्रों से बड़ी संख्या में गौभक्त रोजाना प्रवचन सुनने पहुंचेंगे। ़

हाडौती से जाएंगे सैकड़ों श्रद्धालु
कोटा के सीए योगेंद्र गुप्ता, पुरुषोत्तम मालपानी तथा सीए अरूण मालपानी ने बताया कि जमीन से जुडे़ मालवा के दिव्य गौसेवक संत पं.नागरजी की प्रेरणा से मप्र व राजस्थान में लगभग 199 गौशालाओं में हजारों निःशक्त गायों की सेवा-सुश्रुषा हो रही है।

पिछले कुछ वर्षों से हाड़ौती में कोटा, मोड़क, बारां, छीपाबड़ौद, रामगंजमंडी, गोपालपुरा, रायपुर में उन्होंने विराट श्रीमद् भागवत कथाओं में प्रवचन देते हुए शहरी वर्ग में गौसेवा एवं भारतीय जीवनमूल्यों के प्रति जागरूकता पैदा की। वे प्रारंभ से ही कथाओं के लिए गांव और गरीब को पहली प्राथमिकता देते हैं।

सादगी के संत कथा के पश्चात् दक्षिणा के रूप में केवल तुलसी पत्र स्वीकार करते हैं। उनकी कथाओं में एकत्र गौग्रास राशि आसपास की गौशालाओं में दी जाती है। मालवा रत्न पं.नागरजी मधुर वाणी में प्रवचन देते हुए जीवन मूल्यों की रक्षा एवं गौपालन पर विशेष जोर देते हैं।