ONGC की 60 फीसद हिस्सेदारी निजी कंपनियों को देने की तैयारी

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नई दिल्ली । सरकार ओएनजीसी के 11 तेल एवं गैस क्षेत्रों में उत्पादन की जिम्मेदारी निजी कंपनियों के हाथ में देने की तैयारी कर रही है।

पेट्रोलियम मंत्रालय ने ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआइएल) के 15 तेल एवं गैस क्षेत्रों में 60 फीसद हिस्सेदारी निजी कंपनियों को देने का प्रस्ताव रखा है। माना जा रहा है कि इससे इन क्षेत्रों से उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा।

सूत्रों के मुताबिक, सरकारी कंपनियों के इन तेल व गैस क्षेत्रों में कुल 79.12 करोड़ टन कच्चे तेल (क्रूड) और 333.46 अरब घनमीटर गैस रिजर्व की पहचान की गई है।

इन 15 में से 11 क्षेत्र ओएनजीसी और चार ऑयल इंडिया लिमिटेड के हैं। इनमें गुजरात के कलोक, अंकलेश्वर, गंधार और संथाल स्थित ओएनजीसी के चार बड़े तेल फील्ड शामिल हैं।

सरकारी कंपनियों को नामांकन के आधार पर ये क्षेत्र आवंटित किए गए थे। मौजूदा नियमों के अनुसार, निजी कंपनियों को ऐसे नामांकन वाले ब्लॉक में हिस्सेदारी लेने की अनुमति नहीं है। अभी निजी कंपनियां केवल उन्हीं ब्लॉकों में हिस्सेदारी ले सकती हैं, जिनके लिए खुली बोली लगाई गई हो।

इसीलिए इनमें निजी कंपनियों को हिस्सेदारी देने से पहले नीतियों में बदलाव की जरूरत होगी। मंत्रालय ने इस संदर्भ में केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष सिफारिश रखी है। इन 15 क्षेत्रों के लिए वर्तमान उत्पादन के आधार पर एक बेसलाइन तय की जाएगी।

इनमें 60 फीसद हिस्सेदारी लेने वाली निजी कंपनियों को केवल उस बेसलाइन से ऊपर के उत्पादन पर अधिकार दिया जाएगा। इन क्षेत्रों के लिए बोली लगाई जाएगी।

दस साल की अनुबंध अवधि के दौरान सर्वाधिक पूंजी लगाने व अपने कुल राजस्व का अधिकतम हिस्सा सरकार को देने का प्रस्ताव रखने वाली निजी कंपनी को वह क्षेत्र सौंपा जाएगा।

मंत्रालय तेल एवं गैस उत्पादन में स्थिरता से निराश है। उसका मानना है कि निजी क्षेत्र के हाथ में देकर इन तेल व गैस ब्लॉकों से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। निजी कंपनियां तकनीक और पूंजी लगाकर उत्पादन में इजाफा कर सकती हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक पेट्रोलियम के क्षेत्र में आयात निर्भरता को 10 फीसद तक कम करने का लक्ष्य रखा है। 2014-15 में देश 77 फीसद जरूरत के लिए आयात पर निर्भर था। इस समय यह निर्भरता बढ़कर 80 फीसद के ऊपर निकल गई है।