परिधान निर्यातकों ने जीएसटी की समस्याओं को संसदीय समिति के सामने रखा

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नयी दिल्ली। वस्त्र निर्यातकों ने संसदीय समिति के सामने माल एवं सेवा कर लागू किए जाने के बाद उत्पन्न हुई समस्याओं को रखा किया है। साथ ही उन्होंने संकेत दिया है कि इससे भारत से परिधानों के निर्यात में गिरावट और रोजगार के नुकसान के आसार हैं।

परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी)  ने इस हफ्ते की शुरुआत में नरेश गुजराल की अध्यक्षता वाली वाणिज्य संबंधी की संसदीय स्थायी समिति राज्यसभा के सामने प्रस्तुति दी थी।

परिषद ने कर वापसी (टैक्स रिफंड) की प्रक्रिया जल्दी शुरू करने के लिए कहा है। एईपीसी ने कहा कि ओटे जुए कपास की खरीदी की लागत में मशीनरी, बीज, उर्वरक, बिजली और डीजल पर लगने वाला कर और केंद्र या राज्य सरकार द्वारा लगाया गया शुल्क बिजली सब्सिडी, स्टांप शुल्क, सम्पत्ति कर और अन्य शुल्क भी शामिल होता है।

परिषद ने ईपीसीजी (निर्यात संवर्धन पूंजीगत माल) के तहत आयात पर एकीकृत जीएसटी से छूट की सीमा को बढ़ाकर 31 मार्च 2018 से 31 दिंसबर 2018 किए जाने की ओर भी समिति के सदस्यों का ध्यान आकर्षित किया है।

निर्यात में कमी को रोकने के लिए एईपीसी ने सुझााव दिया कि निर्यातकों के हितों की रक्षा के खातिर प्रतिस्पर्धी विनिमय दर और रुपये के अभिमूल्यन को स्थिर किया जाना चाहिए।