अधिकांश ट्रांसपोर्ट कारोबार पर पांच या 12 फीसद लगेगा जीएसटी

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नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर ट्रांसपोर्टरों ने भले ही 20 अप्रैल से चक्का जाम की धमकी दे रखी हो, लेकिन ऐसा होने में संदेह है।इसकी वजह यह है कि ट्रांसपोर्टरों की ज्यादातर गतिविधियां 12 फीसद जीएसटी के दायरे में आएंगी। जबकि बहुत कम गतिविधियों पर 18 या 28 फीसद की ऊंची दर लगेगी।जीएसटी के तहत ट्रांसपोर्ट व्यवसाय की विभिन्न गतिविधियों के लिए सेवा कर की अलग-अलग दरें होंगी।

मसलन खुदरा सामानों की बुकिंग व डिलीवरी, ट्रांसपोर्ट कांट्रैक्ट और थर्ड पार्टी लॉजिस्टिक्स (टीपीएल) के लिए अलग दरें लगेंगी।पैसेंजर ट्रेनों की विशेष रैक व सामान्य कोचों के जरिये ढोए जाने वाले पार्सल, मालगाड़ियों व कंटेनर ट्रेनों से जाने वाला बल्क सामान व मल्टीनेशनल लॉजिस्टिक्स सेवाओं पर अलग-अलग दरें लागू होंगी।परिवहन विशेषज्ञ एसपी सिंह के अनुसार ज्यों-ज्यों जीएसटी के लागू होने की तारीख नजदीक आ रही है, सेवा उद्योग से जुड़े कारोबारियों के बीच सन्नाटा छाता जा रहा है।

सेवाओं पर कर की दरों को लेकर उनकी आशंकाएं गहराती जा रही हैं।उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि उनकी सेवाओं पर 5, 12, 18 या 28 फीसद में से कौन सी दर लागू होगी। और यदि लागू होगी तो उसका भुगतान उन्हें करना होगा या वह ग्राहकों के हिस्से में आएगा।अभी खुदरा पार्सल बुकिंग पर 15 फीसद के सर्विस टैक्स की एक चौथाई दर लागू होती है। जबकि ट्रांसपोर्ट कांट्रैक्ट और कंपोजिट लॉजिस्टिक्स/टीपीएल सेवाओं पर पूरे 15 फीसद की दर से सेवा कर वसूला जाता है।

रेलवे को पांच वर्ष पहले ही सर्विस टैक्स के दायरे में लाया गया है। इस पर प्रधान सेवा कर घटाने के बाद सर्विस टैक्स का केवल 30 फीसद कर लगता है। यह ज्यादातर ट्रक से माल बुकिंग पर देय सर्विस टैक्स के समकक्ष ही है।कम होगा टैक्स का बोझ सिंह का मानना है कि ज्यादातर आवश्यक वस्तुएं जैसे अनाज, सब्जी, दूध और संभवतः पॉल्ट्री उत्पादों की ढुलाई पर पांच फीसद की दर से जीएसटी लागू होगा।अधिकांश परिवहन सेवाएं 12 फीसद दर के दायरे में आएंगी। जबकि बहुत कम या नगण्य सेवाओं पर ही 18 फीसद दर लागू होगी।