जमीन के लिए किसानों का ऐसा सत्याग्रह पहले कभी नहीं देखा होगा

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1350 बीघा जमीन अवाप्त करने के खिलाफ गर्दन तक जमीन में धंसे इन किसानों ने अन्न त्याग दिया, फिर भी सरकार नहीं पसीजी 

जयपुर। जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से नींदड़ गांव में खेती की 1350 बीघा जमीन अवाप्त करने के खिलाफ किसानों ने शनिवार को अन्न त्याग दिया।

जेडीए कमिश्नर वैभव गालरिया की ओर से कलेक्टर के जरिए दुबारा सर्वे करवाने के वादे से मुकर जाने के बाद किसानों ने जमीन समाधि सत्याग्रह तेज कर दिया है और गुस्साए बुजुर्ग किसानों व महिलाओं ने अपने शरीर को गर्दन तक दबा लिया है। इससे कई किसानों की तबीयत बिगड़ गई। 

– पिछले पांच दिनों से किसान जमीन समाधि सत्याग्रह कर रहे हैं। इनमें कई बुजुर्ग किसान हैं।ब्लड प्रेशर, हार्ट व डायबिटीज की दिक्कत के बावजूद किसानों ने जमीन समाधि ली है। किसान जमीन को अपनी जिंदगी का मकसद मान संघर्ष कर रहे हैं।

किसानों का आंदोलन तेज हो जाने व भूख हड़ताल के बावजूद जेडीए व प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली है। इससे आसपास के किसानों व लोगों में भी आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

जेडीसी टालते रहे
– किसानों का कहना है कि पहले यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने बुलाकर जेडीसी वैभव गालरिया से मामले का समाधान करवाने का आश्वासन दिया। जेडीसी दो दिन तक मामले को टालते रहे।

फिर गुरुवार को बुलाकर कलेक्टर के जरिए जमीन व आबादी का दुबारा सर्वे करवाने का आश्वासन दिया, लेकिन शुक्रवार को दिनभर जेडीए के अफसर कलेक्टर के वार्ता मामले में गुमराह करते रहे। किसानों के साथ जेडीए छल-कपट कर रहे हैं।

यह है किसानों की मांगे
– सर्वे के लिए समन्वय समिति गठित हो। समिति में जेडीए अफसर, जनप्रतिनिधि व संघर्ष समिति में प्रतिनिधि शामिल हों।
– एक ढाणी व कॉलोनी का दुबारा सर्वे हो
– परिवार की न्यूनतम आवश्यकता रिपोर्ट बनाई जाए।
– मकान की स्थिति व नुकसान की रिपोर्ट तैयार हो।
– योजना से प्रभावितों की आर्थिक स्थिति का आकलन तथा अवाप्ति से उनके जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का आंकलन हो।

यह है मामला
– जेडीए सीकर रोड स्थित नींदड़ गांव में 1350 बीघा जमीन पर आवासीय कॉलोनी ला रहा है। जेडीए ने 16 सितंबर को कॉलोनी का एंट्री गेट निकालने के लिए सीकर रोड की तरफ 15 जमीन का कब्जा लेते हुए सड़क बना दी थी, लेकिन दो दिन बाद अवाप्ति से प्रभावित लोग एकजुट होकर आंदोलन शुरु कर दिया और नई सड़क को ही खोद दिया।

-इसके बाद लगातार धरना- प्रदर्शन चल रहा है। जेडीए ने सड़क खोदने वालों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई है, लेकिन लोगों के आक्रोश के कारण अभी तक मौके पर नहीं गए हैं।

– अब तक करीब 500 बीघा जमीन पर जेडीए का मालिकाना हक हो गया है। वहीं 700 बीघा जमीन किसानों के पास ही है तथा लोगों ने मुआवजा भी नहीं लिया है।

-आवासीय स्कीम के एंट्री पॉइंट की 15 बीघा जमीन का मुआवजा देने के लिए जेडीए ने नोटिस जारी कर दिए थे, लेकिन लोगों ने मुआवजा नहीं लिया। जेडीए ने मुआवजा कोर्ट में जमा करवा दिया।