जीएसटी के तहत बनेगा ग्राहक कल्याण कोष

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नई दिल्ली। बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने पर ग्राहकों के हितों का पूरा ख्याल रखा जाएगा। कोई भी कारोबारी या सेवा प्रदाता ग्राहकों के हितों को नुकसान न पहुंचा सके, इसके लिए सरकार विशेष उपाय करने जा रही है।

सरकार एक जुलाई, 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद एक “ग्राहक कल्याण कोष” स्थापित करेगी। इस कोष से महिलाओं, आदिवासियों और दलितों के उन संगठनों को अनुदान मिलेगा, जो ग्राहकों के हित में काम कर रहे हैं। साथ ही ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए काम करने वाले सामान्य संगठन और केंद्र व राज्य सरकारों के विभाग भी इस कोष से अनुदान प्राप्त कर सकेंगे।केंद्रीय जीएसटी कानून, 2017 की धारा 57 के तहत ग्राहक कल्याण कोष का गठन किया जाएगा।

इस कानून की धारा 58 में कोष के उपयोग के बारे में प्रावधान किए गए हैं। जीएसटी का उचित अधिकारी जब यह निश्चित कर ले कि रिफंड की राशि का भुगतान असेसी को नहीं किया जा सकता, तब वह इस रकम को ग्राहक कल्याण कोष में ट्रांसफर करने का आदेश जारी कर सकता है।समिति करेगी इस्तेमाल का फैसलासरकार ने जीएसटी के रिफंड संबंधी जिन नियमों का मसौदा तैयार किया है, उसमें इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश तय किए गए हैं। नियमों यह भी बताया गया है कि इस कोष का इस्तेमाल किस तरह किया जाए।

यह फैसला करने के लिए एक स्थायी समिति बनाई जाएगी।इसमें एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और सदस्य सचिव होगा। साथ ही इसमें कुछ सदस्य भी होंगे। यह समिति उन उपायों की सिफारिश करेगी जिनके जरिये ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए इस कोष का इस्तेमाल किया जा सकेगा। समिति को तीन महीने में कम से कम एक बार बैठक करनी होगी।खास बात यह है कि महिलाओं, आदिवासियों और दलितों द्वारा संचालित ग्राहकों की सहकारी समितियों, गांव और मंडल स्तर की समितियों को इस कोष से अनुदान मिल सकेगा।

इसके अलावा केंद्र सरकार और राज्य सरकारें भी इस कोष से अनुदान प्राप्त कर सकेंगी।हालांकि इनको यह राशि ग्राहकों के हितों की रक्षा के उपायों पर खर्च करनी होगी। केंद्रीय ग्राहक संरक्षण परिषद (सीसीपीसी) और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) इस कोष से अनुदान देने के संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश तैयार कर जीएसटी काउंसिल को सौंपेंगे।