जीडीपी में गिरावट: 2017-18 के उधारी लक्ष्य पर सरकार अडिग

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जुलाई 2017 से ही गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) की लॉन्चिंग के बाद आई आर्थिक मंदी ने केंद्र सरकार के राजस्व पर दबाव और उसकी चिंताओं में इजाफा कर दिया है

नई दिल्ली । सरकार ने कहा कि वो मार्च 2018 को खत्म होने वाले चालू वित्त वर्ष तक के लिए अपने बजटीय उधारी लक्ष्य पर अडिग है। हालांकि उन्होंने किसी भी नए खर्च के लिए अतिरिक्त बांड बेचने की संभावनाओं की ओर इशारा भी किया।
जुलाई 2017 से ही गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) की लॉन्चिंग के बाद आई आर्थिक मंदी ने केंद्र सरकार के राजस्व पर दबाव और उसकी चिंताओं में इजाफा कर दिया है। इस वजह से सरकार को राजकोषीय घाटे को कम स्तर पर लाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। व

हीं इसके इतर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने गुरुवार को कहा था वह अक्टूबर दिसंबर तिमाही के दौरान सरकारी बॉन्ड में विदेशी निवेश सीमा को 80 बिलियन रुपए बढ़ाकर 2.5 ट्रिलियन रुपए कर देगा।

विदेशी निवेशकों की ओर से मजबूत खरीद के बीच वर्तमान कोटा लगभग पूरी तरह समाप्त हो जाने के बाद यह कदम उठाया गया है क्योंकि भारत विश्व स्तर पर कम ब्याज दर के साथ हायर यील्ड उपलब्ध करवाता है।

फरवरी महीने में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बॉन्ड बिक्री के माध्यम से 2017-18 में 5.8 ट्रिलियन रुपए जुटाने का अनुमान लगाया था ताकि जीडीपी के मुकाबले 3.2 फीसद राजकोषीय घाटे के गैप को कम किया जा सके।

हालांकि, घाटे ने पूरे वर्ष के लक्ष्य का 92 फीसद हिस्सा पहले ही पार कर लिया है। जुलाई के मुकाबले अगस्त महीने के दौरान जीएसटी कलेक्शन में आई 3.6 फीसद की गिरावट ने भी चिंताएं बढ़ा दी हैं।