परम्परागत बीज संरक्षित करने के लिए देशी बीज बैंक बनाएं

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विभागीय कृषि फार्मों को वरीयता व आवश्यकता के आधार पर राजस्थान स्टेट सीड्स कॉर्पोरेशन और कृषि विश्वविद्यालयों को आवंटित किया जाएगा-सैनी

जयपुर। कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने कहा कि परम्परागत बीजों को संरक्षित करने के लिए कृषि विश्वविद्यालय देशी बीज बैंक बनाएं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपने क्षेत्र में प्रमुख फसलों के देशी बीजों का पता लगाएं और देशी बीज बैंक बनाकर उनका संवर्द्धन करें।

सैनी सोमवार को पंत कृषि भवन में प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय नवाचार को आगे बढ़ाएं और कृषि अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा दें। साथ ही जिन फसलों को नवाचार के रूप में उगाया गया है, उनका खंड वार पीओपी बनाने के भी निर्देश उन्होंने दिए।   

कृषि मंत्री ने कहा कि विभागीय कृषि फार्मों को वरीयता व आवश्यकता के आधार पर राजस्थान स्टेट सीड्स कॉर्पोरेशन और कृषि विश्वविद्यालयों को आवंटित किया जाएगा।

उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू करने के भी निर्देश दिए। बैठक में विश्वविद्यालयाें के शैक्षणिक कार्याें, अनुसंधान और अन्य गतिविधियों की समीक्षा की गई। 

सैनी ने संरक्षित खेती (ग्रीन हाऊस, पॉली हाऊस) में बाधा बन रही नीमिटोड बीमारी के समाधान के लिए एमपीयूटी, उदयपुर को विशेष सेल गठित करने के निर्देश दिए।

उन्होंने बैठक में निर्देशित किया गया विश्वविद्यालयों को कम पानी-अधिक उत्पादन वाली बीज की किस्में तैयार करनी चाहिए। साथ ही राजस्थान राज्य बीज निगम को बीज उत्पादन कार्यक्रम को बढ़ाने के निर्देश दिए। 

बैठक में यह थे मौजूद 
बैठक में प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी नीलकमल दरबारी, कृषि आयुक्त विकास सीतारामजी भाले, स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर के कुलपति बी. आर. छीपा, कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर के कुलपति डॉ. पी.एस. राठौड़, कृषि विश्वविद्यालय मौजूद थे।

जोधपुर के कुलपति डॉ. बलराज सिंह, कृषि विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति डॉ. जी.एल.केसवा, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के शोध विभाग के निदेशक डॉ. एस.एस. बुरडक, राजस्थान स्टेट सीड्स कॉर्पोरेशन की प्रबंध निदेशक सुषमा अरोड़ा, कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर के एचआरडी विभाग के निदेशक रविन्द्र पालीवाल सहित कृषि विभाग के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।